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________________ हार्थिक तेमां उत्पाद व्यय पर्याय गौण पणे अने प्रधान पणे द्रव्यनो गुण सत्ताने ग्रहे ते द्रव्यार्थिकनय कहिये तेना दश दाभेद छे १ सर्व द्रव्यनित्य छे ते नित्यद्रव्यार्थिक २ अगुरु लघु अने खेत्रनी अपेक्षा न करे मूल गुणने पिंडपणे ग्रहे ते एकद्रव्यार्थिक ३ ज्ञानादिक गुणे सर्व जीव एकसरीखा छे माटे सर्वने एक जीव कहे स्वद्रव्यादिकमे ग्रहे ते सत् द्रव्यार्थिक जेम सत् लक्षणं द्रव्यं ४ द्रव्यमां कहेवा योग्य गुण अंगीकार करे ते वक्तव्य द्रव्यार्थिक ५ आत्माने अज्ञानी कहेवु ते अशुद्ध द्रव्यार्थिक ६ सर्व द्रव्य गुणपर्याय सहित छे एम कहवू ते अन्वय द्रव्यार्थिक ७ सर्व जीवद्रव्यनी मूल सत्ता एक छे ते परम द्रव्यार्थिकनय ८ सर्व जीवना आढ प्रदेश निर्मल छे ते शुद्ध द्रव्यार्थिकनय ९ सर्व जीवना असं ख्यात प्रदेश एकसरीखा छे ते सत्ता द्रव्यार्थिकनय १० गुणगुणी द्रव्य ते एक छे ते परमभावग्राहक द्रव्यार्थिक दाजेम आत्मा ज्ञानरूप छे इत्यादिक ए द्रव्यार्थिक नयना दश भेद कह्या. | हवे पर्यायार्थिक नयना छ भेद कहे छे जे पर्यायने ग्रहे ते पर्यायार्थिक नय कहिये, तेना छ भेद छे १ द्रव्यपर्याय ते जीवने भव्यपणुं तथा सिद्धपणुं कहेQ २ द्रव्यव्यंजनपर्याय ते द्रव्यनुं प्रदेशमान ३ गुणपर्याय जे एक गुणथी अनेकता थाय जेम धर्माधर्मादि द्रव्य पोताना चलण सहकारादि गुणथी अनेक जीव तथा पुद्गलने सहाय करे ४ गुण व्यंजन पर्याय जे एक गुणना घणा भेद छे ५ स्वभाव पर्याय ते अगुरु लघु पर्यायथी जाणवु ए पांच पर्याय सर्व द्रव्यमां छे अने छट्टो विभाव पर्याय ते जीव पुद्गल ए बे द्रव्य मा छे तिहां जीव जे चार गतिना नवा नवा भव करे ते जीवमां विभाव पर्याय तथा पुद्गलमा खंघ पणुं ते विभाव पर्याय जाणवो. CAUSAGARAARAA
SR No.600385
Book TitleJivvicharadi Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinduttasuri Gyanbhandar
PublisherJinduttasuri Gyanbhandar
Publication Year1928
Total Pages306
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size22 MB
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