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आगमसार
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प्रकरणम्
॥५८॥
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| हवे पर्यायना बीजा छ भेद कहे छे १ अनादि नित्यपर्याय ते जेम पुद्गल द्रव्यनो मेरु प्रमुख २ सादि नित्य पर्याय दते जीव द्रव्यनु सिद्धपणुं ३ अनित्यपर्याय ते समय समयमां द्रव्य उपजे विणशे छे ४ अशुद्ध अनित्यपर्याय ते जन्म
मरण थाय छे तेणे करी कहे, ५ उपाधिपर्याय ते कर्म संबंध ६ शुद्धपर्याय जे मूलपर्याय सर्व द्रव्यना एक सरीखा छे. ए पर्यायार्थिकनुं स्वरूप कह्यु. । हवे सात नय कहे छे १ नैगम, २ संगृह, ३ व्यवहार, ४ रुजुसूत्र ५ शब्द ६ समभिरूढ ७ एवंभूत-ए सात नयना
नाम जाणवां, तेमां पहेलो नैगम नय कहे छे. नथी एक गमो ते नैगम कहिये गुणनो एक अंश उपनो होय तो नैगम | |नय कहिये दृष्टान्त-जेम कोइक मनुष्यने पायली लाववानो मन थयो तेवारें जंगलमा लाकडं लेवा चाल्यो रस्तामां कोइक मनुष्य मल्यो तेणें पूछ्युं तुं क्यां जाय छे तेवारें तेणें कडं जे पायली लेवा जाउं छु ते पायली तो हजी घडी नथी पण मनमां चिंतवी ते थइ एम गण्यु तेम नैगम नय सर्व जीवने सिद्ध समान कहे केमके सर्व जीवना आठ रुचक
प्रदेश निर्मल सिद्ध रूप छे तेथी एक अंशे सिद्ध छे ते माटे सिद्ध समान सर्व जीव कह्या ते नैगम नयना त्रण भेद छे दा१ अतीत नैगम २ अनागत नैगम ३ वर्तमान नैगम ए नैगम नय कह्यो. | हवे संग्रह नय कहे छे. सत्ताग्रहे ते संग्रह जे एक नाम लीधाँथी सर्व गुण पर्याय परिवार सहित आवे ते संग्रहनय जाणवो. तेनो दृष्टान्त-जेम कोइक मनुष्ये प्रभातें दातण करवाने अर्थे पोताना घरना बारणे वेशीने चाकर पुरुषने कडं जे दातण लइ आवो तेवारे ते चाकर मनुष्य पाणीनो लोटो तथा रुमाल अने दातण एम सर्व चीज लइ आव्यो.
ORICALCREGARCA