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________________ सवाओ । तह विविहुल्लावेहि, संभासिज्जति सयहिं ॥४९॥ तं चाणककलतं, अत्थविहीणं ति काउ नदिको वि। धर्मविपि ४ क्यणेण वि संभासइ, कारिज्जइ किंतु गिहकम्मं ॥ ५० ॥ अह वित्तमि विवाहे, नाणाविहवत्यभूसणाइयं । दाउं विसज्जि. ॥३९॥ याओ, इयरमुयाओ सबहुमाणं ॥ ५१ ॥ तीसे पुण पियरेहि, वत्थाईएहि अप्पउवयारो । विहिओ तो सा चिंतइ, घिद्धी दारिदमाहप्पं ॥ ५२ ॥ मायापिऊवि जत्थ य, में एवं परिभवंति चिंतित्ता । अदृदुहट्टोवगया, समागया भतुणो गेहे ॥ ५३ ॥ दिट्ठा चाणकेणं, कि एसा पिउगिहाउ पत्तावि । लक्खिज्जइ कसिणमुहा, मग्गे मुसिय व्व चोरेहिं ॥५४॥ तो भणइ पई भदे, कसिणमुहा कीस सा न जंपेइ । बालु व्व वारवार, जा पुच्छइ एस ता भणइ ।।५५|| नियमायापि ट्र यरेहि, परिभविया नाह ! अंकदासि व्व । तुज्झ दरिदस्स करे, लग्गा वत्थाइहीण ति ॥५६॥ तं सोउं चाणको, तीसे, * खेयं विभागयंतु व्य । चिंतइ मणमि एयं, अत्यो सव्वत्य गोरविओ ॥५७॥ जाई विज्जा रूवं, तिमि वि निवदंतु कंदरे वि. वरे । अत्थु च्चिय परिवड्ढउ, जेण गुणा पायडा हुंति ॥५८॥ झीणविहवो न अग्घइ, पुरिसो विमाणगुणमहग्यो वि । धणवंतो पुण नीओ वि, गउरवं लहइ लोयंमि ॥ ५९॥ कनकडुयपि वयण, धिप्पइ अमयं व धणसमिद्धस्स । न उणो तं स. यलकला-कलावकलियस्स अधणस्स ॥६०॥ जस्सत्यो तस्स जणो, जस्सत्यो तस्स बंधवा बहवे । घणरहिओ वि मणुस्सो, होइ समो दासपेसेहिं ॥ ६१ ॥ इंतीए इंति अणहुंतया वि, जंतीइ जति संतावि । जीईइ समं नीसेस-गुणगणा जयड सा लछी ॥६२ ॥ ता सबहा वि इन्हि, अज्जेयब्बो मए फुडं अत्यो । चिट्टइ य पाटलिपुरे, नयरे नंदो महाराया ॥६३ ।। सो देह बंभणाणं, मुवनदाणं ति चिंतिउ हियए । घरणीइ कहिय चलिओ, संपत्तो पाटलिपुरंमि ॥ ६४ ॥ रायकुलंमि BALASAHEवका
SR No.600381
Book TitleDharm vidhi Prakaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaysinhsuri, Shreeprabhsuri
PublisherHansvijayji Library
Publication Year1924
Total Pages320
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size24 MB
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