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________________ है अपडत चेव परसुमि ॥ १३७ ॥ अह तम्मझे जीवंत-सामिणी विज्जुमालिसुरविहिया । गोसीसचंदणमई, दिवा सिरिवीरजिण- I पडिमा ॥ १३८॥ अमिलाणपुप्फदाम, सव्वालंकारभूसियसरीरं । अइअच्चन्भुयरूवं, तं पडिम तत्थ दहणं ॥ १३९ ॥ आणंदिओ उदयणो, विहईओ तवसिबंभणाइजणो। जाओ जयजयकारो, वित्थरिओ जिणगुणवियारो ॥ १४० ॥ मिलिओ धम्मियवग्गो, जाया जिणमयपभावणा तत्थ । जंपेइ सयललोओ, अहो अहो जयई मिणधम्मो ॥.१४१ ॥ अह फुरियकित्तिपसरा, पभावई उल्लसंतहरिसभरा । अइअच्चन्भुयभूयं, करेइ सा तत्थ जिणपूयं ॥ १४२ ॥ कुसुम १ क्खय २ धूवेहिं ३, सुहफल ४ घय ५ वास ६ जल ७ पइवेहिं ८ । पडिमाए भत्तीए, पूयं काऊण अट्टविहं ॥ १४३ ।। तत्तो कयजणरंगा, ४ पभावई भत्तिभारनमिरंगा । थुणइ सिरिवद्धमाणं, पुरो ठिया इय सबहुमाणं ॥ १४४ ॥ साहियसुहोवएसो, असेसलोइयसुरेसु सविसेसो । ससहरसीयललेसो, वीरो असुहं हरउ एसो ॥१४५॥ असरिसविवेयसस्सो, वयओसहिविहियसिववहूवस्सो। उवइसियसुयरहस्सो, विलसिरअइसयसयसहस्सो ॥ १४६ ॥ विहियाहिरसंहारो, लीलासोसियअसारसंसारो । हयविसयविसवियारो, सेवयसयम्यसहयारो ॥ १४७ ॥ अवहीरियावरोहो, असरिसवररूवउल्लसियसोहो । वियलियसव्वविरोहो, विलासविहवाइसु अलोहो ॥ १४८ ॥ असिवरुरुसिंहसावो, लोयालोया | वलोइयसहावो । अलवियअलियालावो, हारियरोसाइउवयावो ॥ १४९ ॥ अवहयरइवइवीरो, ससुरासुरवारसेवियसरीरो । संसयवसुहासीरो, सुहहेऊ होउ सिरिवीरो ॥१५०॥ इय वन्नेहि परिचत्त-पंचवग्गावि थुणियसिरिवीरं। देवी चउत्थवग्गं, मग्गंती नमइ पंचगं ॥ १५१ ॥ देवीए थवणाण-तरं च धम्मियजणो समग्गो वि । भत्तीइ पडिमपूया-हवणाईयं कुणइ तत्थ ॥१५२॥ ते वि हु वणिया पभणति, पणमि देवि ! तुज्झ अम्हेहि । एसा पडिमा दिन्ना, पूएयव्वा तए निच्चं ॥ १५३ ॥ होउ इमं ति NASHIKARI
SR No.600381
Book TitleDharm vidhi Prakaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaysinhsuri, Shreeprabhsuri
PublisherHansvijayji Library
Publication Year1924
Total Pages320
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size24 MB
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