SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 294
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रकरणम् धर्मविधि ॥१४॥ * #ता तह कुणमु जहा है, सुहसंतोसेण बट्टामि ॥ १०८७ ॥ जंपइ जक्खो थविरे, इओ परं सुत्थिया तुमं होसु । जै मज्झ पाय मूले, दीणारं पइदिणं लहसि ॥ १०८८ ॥. पइदिवस दीणारं, पावंती तद्दिणाउ सा थविरा । जाया समहियरिडी, सजणाओ । जणवयाओ वि ॥ १०८९ ॥ जा दिवालंकारं, थविरा सुमिणे वि नेव पिवखती । सा तं निवदेवी इव, खणे खणे नवनवं धरइ ॥ १०९० ॥ जीसे य कजियस्स वि, सद्धा कइया वि नेव पुजंती। पीणत्थणाउ तीसे, घेणूओ सहस्ससो भवणे ॥ १०९१ ॥ जिण्णमि तिणकुडीरे, आजम्माओ वि जा सया वसिया । सा पासायं कारइ, चित्तगवक्खाइरमणीयं ॥ १०९२ ॥ ४ जा जीविया परगिहे, गोमयचायाइकम्मणा अह तं । दासीओ थंभट्ठिय-पंचालीउ व्व सेवंति ॥१०९३॥ नियउयरपूरणे वि हु, असमत्था जा सया वि संजाया। सा उद्धरे वि दीणे, लच्छीए जक्खदिनाए॥१०९४॥ तं बुद्धिगिहे लच्छि, दट्टुं संजायमच्छरा सिद्धी। चिंतइ कत्तो जाया, एयाए एरिसा रिडी ॥१०९५।। ता पुत्वसहित्तेणं, एयं विस्सासिऊण पुच्छामि । इयरिद्धिलाभम सम, काउं चाटुयसयाई पि ॥१०९६॥ तो सिद्धी संपत्ता, बुडिगिहे पियसहि ? ति जपंता। काऊण चाडु एसा, तं पत्थावे भणइ ला एवं ॥१०९७॥ पियसहि ? इत्तियविहवो, तुमए कत्तो अचिंतिओपत्तो। चिंतामणि व्व लडो, संभाविज्जइ तुह सिरीए॥१०९८॥ किंतुह रायपसाओ, जाओ तुहा य देवया का वि । कि कोवि रसो सिद्धो, लडो कत्थ वि निही अहवा ॥१०९९॥ तुमए रिद्धिमईए, पियसहि ? जाया अहंपि रिद्धिमई । दारिद्ददुहाण मया, दिन्नो य जलंजली अज्ज ॥ ११००॥ तुमए अहं मए तं, भेओ पीईइ अम्ह नो देहे । अन्नुन्नं च अकत्थं, न किंपि ता कहसु कह रिडी ।। ११०१॥ तब्भावं अमुणंती, बुद्धी अक्खइ जहातहं तीसे । आराहिएण मह सहि ?, जवखेण इमा सिरी दिना ॥ ११०२॥ तं सोउं सा सिद्धी, थविरा चितइ * ४॥ *
SR No.600381
Book TitleDharm vidhi Prakaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaysinhsuri, Shreeprabhsuri
PublisherHansvijayji Library
Publication Year1924
Total Pages320
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy