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SONG-3-9
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देवदत्ताए । नञ्चतीए वुत्तो, ससिणेहं सो इमं वयणं ॥ ८९ ॥ पिययम ! नचंतीए, मह वायसु पडहमज्ज निवपासे । सो दोहलं च तीसे, तं इष्टु पूरइ तहेव ॥ ९० ॥ तो तत्थ तक्खणेणं, तीसे तुटो निवो वरं देइ । सा भणइ देव ! एसो, चिट्ठर तुह चेव भंडारे ।। ९१ ॥ अह तीए नयरीए, रिद्धो अयलु नि नाम सत्याहो । जो चारणऽस्थिजणं, करेइ ।चतामणिनिरीहं ॥ ९२ ॥ सव्वजणाहियलायन-रूवसोहग्गगुणविसेसेण । गहियंगु व्व अणंगो, जो मोहइ कामिणिमणाई ॥९३ ।। अह
देवदत्तगणिया, रना अयलस्स तस्स सा दिना । सो तीइ गिहे वच्चइ, अवरोधणउ म लच्छोए ।। ९४ ॥ निचंपि तस्स | वेसा, सा डिवत्ति जहोचियं कुणइ । किं नियगिहअवयन, अवमन्नइ कोवि कप्पतरूं ।। ९५॥ अयलो वि देवदत्तं, पइ | अच्चंतं घरेइ अणुरागं । दाणाईहिं तकिंकरे वि आराहए तं च ॥ ९६ ।। धणकणयरयणवत्थाइएहि तीसे गिहम्मि वरि
सेइ । निम्मविऊण अउज, वुटुं देवेहि जह पुव्वं ॥ ९७ ॥ तह विहु कित्तिमनेहा, सा गणिया गुणगणिकदिन्नमणा । कीलइ अयण समं, विविहविणोएहि निच्चपि ॥९८॥ लहिऊण अंतरं अंत-रंगनेहेण मूलदेवं पि । सा रमइ अणुदिणं पि हु, जह अयळो नेव जाणेइ ॥ ९९ ॥ अह तं जपइ अक्का, मा पुत्ति ! विरुद्धमेरिसं कुणमु । जइ जाणिस्सइ एयं, ता अयलो दुम्मणो होही ॥१००॥ को पुत्ति ! जूयकारम्मि, मूलदेवंमि तुज्झ अणुरागो । अहिलसियदाणपवणे, कह अयले रज्जसे नेव ॥ १०१॥ अणुसासियावि एवं, तीसे सिक्खं न तं कुणइ एसा । तत्तो अक्का तं मच्छरेण, अवमन्नए एवं ॥१०२ ॥ मग्गइ अलत्तयं जा, निपीलियं पुंभमप्पए ताव । उच्छू जाइएम. वियरइ तन्नीरसग्गाई ॥१०३ ।। सुमणसगहणावसरे, अप्पद आणाविऊण निम्मलं । तो भणिया सा तोए, किमेवमंचे ! अणुढेसि ? ॥१०४।। अह भणियं अकाए,
॥ ९९ ति! जूयक सिक्ख
AUSHARE
मुनाइए
अणुहार