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________________ अहं पि आसन्नसेवगो तस्स । अह वेसगिहे पत्तो, नट्टगुरू विस्सभूइ ति ॥ ५७ ॥ वेसाइ दंसिओ सो भद्द ! इमो नट्ट अम्ह आयरिओ। तो भणइ मूलदेवो, नज्जइ एसो अकहिओवि ॥ ५८ ॥ एयरस जो मुत्ती वि, पयडए विमलगुणगणाइसयं । K. अह तेण सह वियारो, भरहरहस्संमि आरडो॥५९ ॥ तं वामणरूवधरं, नट्टगुरू पिक्खिऊण गविहो । देइ दुतिवारपुट्ठो, उत्तरमित्तं अवन्नाए । ६० । चिंतेइ मूलदेवो, एसो पंडिच्चगव्वमुबहइ । तो भरहस्स चियारं, अइनिउणं पुन्छि ओ किंपि ४॥६१॥ तत्तो नट्टायरिओ, तं अमुणंतो निरुत्तरो जाओ। आरब्भककसंकंति-दिवसओ दिवसनाहुव्व ॥ ६२ ।। अह लज्जो ४ &णयवयणो, वेला नट्टरस वट्टड इयाणि । ता जामि त्ति भणतो, नट्टायरिआ गओ सगिह ॥ ६३ ॥ तो मृलदेवकुमारो, पुट्ठो वेसाइ भरहसंदेहे । सो तक्खगेण तोसे, कहिओ अवणेइ सव्वेवि ॥ ६४ ॥ अह लक्खपागतिल्लं, गहिऊण अंगमद्दओ हुको । मद्दणकिरियं काउं, वेसाए देवदत्ताए ॥ ६५ ॥ अह आह मूलदेवो, अहं करिस्सामि मदणं भद्दे ! । तीए भणियं द सुंदर !, किं तुममेवं पि जाणेसि ॥६६॥ स भणह न मुणेमि परं, वसिओ हं जाणगाण पासंमि । तज्जाणगत्तामिह पुण, किरियार चेव जाणेसि ॥ ६७ ॥ अह तं सो महतो, अभंगियतिलअद्वपलमेगं । तदेहम्मि पवेसइ, लोमाहारं व लामेहि 18/॥६८॥ ताव कए देहठियं, तिल्लं मा हवउ इय तदंगाओ। तं सव्वं आगारिसइ, पस्सेयं तवणतावुन्न ।। ६९॥ चिंतेइ देवदत्ता, तस्स कलाप गरिसेण हयहियया । किं नीसेसकलाण, एस गुरू आइमो कोधि " ७० ॥ इय चिंतिउण वेसा, देवस्स व तस्स पडिय पाअम् । एतं कारविर, कयंजली भणइ नेहेण ॥ ७१ ॥ मुंदर ! देवो सि तुम, विज्जासिद्धो सि अहव अन्नो वा । तुह बाभगत्तमेयं, गुणेहिं जाणेमि कित्तिमगं ॥७२॥ ता काऊण पसायं, सहावरूवं नियं पयासेसु । RSSC
SR No.600381
Book TitleDharm vidhi Prakaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaysinhsuri, Shreeprabhsuri
PublisherHansvijayji Library
Publication Year1924
Total Pages320
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size24 MB
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