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________________ व्याख्याप्रज्ञप्तिः अभयदेवीया वृत्तिः ॥२६२॥ |२ शतके उद्देशः १० अस्तिकायाः | पूर्णप्रदेशवाच्यताच मू०११७ गुणओ उवओगगुणे । पोग्गलत्यिकाए णं भंते ! कतिवण्णे कतिगंधे० रसे० फासे ?, गोयमा ! पंचवणे पंचरसे दुगंधे अट्ठफासे रुवी अजीवे सासए अवट्टिए लोगदव्वे, से समासओ पंचविहे पण्णत्ते, तंजहा-दव्वओ खेत्तओ कालओ भावओ गुणओ, दव्वओ णं पोग्गलत्थिकाए अणंताई दव्वाइं, खेत्तओ लोयप्पमाणमेत्ते, कालओन कयाइ न आसि जाव निच्चे, भावओ वण्णमंते गंध० रस० फासमंते, गुणओ गहणगुणे । (सू० ११७) एगे भंते ! धम्मत्थिकायपदेसे धम्मत्थिकाएत्ति वत्तव्वं सिया?, गोयमा! णो इणढे समडे, एवं दोनिवि तिन्निवि चत्तारि पंच छ सत्त अह नव दस संखेजा, असंखेन्जा भंते! धम्मत्थिकायप्पएसा धम्मत्थिकाएत्ति वत्तव्वं सिया?, गोयमा! णो इणढे समढे, एगपदेसूणेऽविय णं भंते ! धम्मत्थिकाए २ त्ति वत्तव्वं सिया?, णो तिणद्दे समहे, से केणढणं भंते! एवं वुच्चइ-एगे धम्मत्थिकायपदेसे नो धम्मत्थिकाएत्ति वत्तव्वं सिया जाव एगपदेसूणेवि य णं धम्मत्थिकाए नो धम्मत्थिकाएत्ति वत्तव्वं सिया?, से नृणं गोयमा ! खंडे चके सगले चके ?, भगवं! नो खंडे चके, सकले चके, एवं छत्ते चम्मे दंडे दूसे आउ पहे मोयए, से तेणटेणं गोयमा! एवं बुच्चइएगे धम्मत्थिकायपदेसे नो धम्मत्थिकाएत्ति वत्तव्वं सिया, जाव एगपदेसूणेविय णं धम्मत्थिकाए नो धम्मत्थि| काएत्ति वत्तव्वं सिया, से किंखातिए णं भंते ! धम्मत्थिकाएत्ति वत्तव्वं सिया ?, गोयमा ! असंखज्जा धम्मथिकायपएसा ते सव्वे कसिणा पडिपुण्णा निरवसेसा एगगहणगहिया एस णं गोयमा! धम्मत्थिकाएत्ति वत्तव्वं सिया, एवं अहम्मत्थिकाएवि, आगासत्थिकाएवि, जीवत्थिकायपोग्मलत्थिकायावि एवं चेव, नवरं २६२॥
SR No.600376
Book TitleVyakhyapragnapti Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaydevsuri
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages367
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size31 MB
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