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________________ याख्या प्रज्ञाप्त: अभयदेवीया वृत्तिः ॥१३॥ २ शतके उद्देशः१ आ०१२० स्कन्दक चरित्रं | सू० ९० अप्पसारे मोल्लगरुए तं गहाय आयाए एगंतमंतं अवकमइत्ति, एस मे नित्थारिए समाणे पच्छा पुरा हियाए| सुहाए खमाए निस्सेसाए आणुगामियत्ताए भविस्सइ, एवामेव देवाणुप्पिया! मज्झवि आया एगे भंडे इहे कंते पिएं मणुन्ने मणामे भेजे वेसासिए संमए बहुमए अणुमए भंडकरंडगसमाणे, मा णं सीयं मा णं उण्हं मा णं खुहा मा णं पिवासा मा णं चोरा मा णं वाला मा णं दंसा मा णं मसगा मा ण वाइयपित्तियसंभियसंनिवाइयविविहा रोगायंका परीसहोवसग्गा फुसंतुत्तिकहु एस मे नित्थारिए समाणे परलोयस्स हियाए सुहाए खमाए नीसेसाए अणुगामियत्ताए भविस्सइ, तं इच्छामि णं देवाणुप्पिया! सयमेव मुंडावियं सयमेव सेहावियं सयमेव सिक्खावियं सयमेव आयारगोयरं विणयवेणइयचरणकरणजायामायावत्तियं धम्ममाइक्खियं । तए णं समणे भगवं महावीरे खंदयं कच्चायणस्सगोत्तं सयमेव पब्बावेइ जाव धम्ममातिक्खइ, एवं देवाणुप्पिया! गंतव्वं एवं चिट्टियव्वं एवं निसीतियब्वं एवं तुयट्टियव्वं एवं भुंजियव्वं एवं भासियव्वं एवं उद्याए २ पाणेहिं भूएहिं जीवहिं सत्तेहिं संजमेणं संजमियव्वं, अस्सि च णं अढे णो किंचिवि पमाइयव्वं । तए णं से खंदए कच्चायणस्सगोत्ते समणस्स भगवओ महावीरस्स इमं एयारूवं धम्मियं उवएसं सम्मं संपडिवजति, तमाणाए तह गच्छइ तह चिट्ठइ तह निसीयति तह तुयदृइ तह भुंजइ तह भासइ तह उहाए २ पाणेहिं भूएहिं जीवहिं सत्तेहिं संजमेणं संजमियवमिति, अस्सि च णं अढे णो पमायइ । तए णं से खंदए कच्चाय. अणगारे जाते ईरियासमिए भासासमिए एसणासमिए आयाणभंडमत्तनिक्खेवणासमिए उच्चारपासवणखेल ॥२१३॥
SR No.600376
Book TitleVyakhyapragnapti Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaydevsuri
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages367
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size31 MB
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