SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 196
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ व्याख्याप्रज्ञप्तिः अभयदेवीया वृत्तिः ॥४२९॥ ५शतके उद्देशः ७ जीवानांसारंभपरि ग्रहत्वं मू०२१८ असुरकुमारा सारंभा सपरिग्गहा, नो अणारंभा अप० । से केण?णं०?, गोयमा ! असुरकुमारा णं पुढविकायं समारंभंति जाव तसकायं समारंभंति सरीरा परिग्गहिया भवंति कम्मा परिग्गहिया भवंति भवणा परि० भवंति देवा देवीओ मणुस्सा मणुस्सीओ तिरिक्खजोणिया तिरिक्खजोणिणीओ परिग्गहियाओ भवंति, आसणसयणभंडमत्तोवगरणा परिग्गहिया भवति, सच्चित्ताचित्तमीसयाई दवाइं परिग्गहियाई भवंति,से तेणटेणं तहेव एवं जाव थणियकुमारा। एगिदिया जहा नेरइया। बेइंदिया णं भंते! किं सारंभा सपरिग्गहा तं चेव जाव सरीरा परिग्गहिया भवंति,बाहिरिया भंडमत्तोवगरणा परि० भवंति,सचित्ताचित्त० जाव भवंति,एवं जाव चउरिंदिया, पंचेंदियतिरिक्खजोणिया णं भंते! तं चेव जाव कम्मा परि० भवन्ति, टंका कूडा सेला सिहरी पन्भारा परिग्गहिया भवंति,जलथलबिलगुहालेणा परिग्गहिया भवंति,उज्झरनिज्झरचिल्ललपल्ललवप्पिणा परिग्गहिया भवंति, अगडतडागदहनदीओ वाविपुक्खरिणीदीहिया गुंजालिया सरा सरपंतियाओ सरसरपंतियाओ बिलपतीयाओ परिग्गहियाओ भवंति, आरामुज्जाणा काणणा वणाई वणसंडाई वणराईओ परिग्गहियाओ भवंति, देवउलसभापवाथूभाखातियपरिखाओ परिग्गहियाओ भवंति,पागारट्टालगचरियदारगोपुरा परिग्गहिया भवंति, पासादघरसरणलेणआवणा परिग्गहिता भवंति,सिंघाडगतिगचउक्कचञ्चरचउम्मुहमहापहा परिग्गहिया भवंति, | सगडरजाणजुग्गगिल्लिथिल्लिसीयसंदमाणियाओ परिग्गहियाओ भवंति, लोहीलोहकडाहकडुच्छुया परिग्गहिया भवंति,भवणा परिग्गहिया भवंति,देवा देवीओमणुस्सा मणुस्सीओ तिरिक्खजोणिओ तिरिक्खजोणिणीओ ॥४२९॥ आ०२३७
SR No.600376
Book TitleVyakhyapragnapti Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaydevsuri
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages367
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size31 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy