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________________ C व्याख्याप्रज्ञप्तिः अभयदेवीया वृत्तिः ॥३२७॥ ३ शतके उद्देशः३ एजनादाव मोक्षः मु०१५२ SC के तणहत्थर जायतेयं सि पक्खित्ते समाणे खिप्पामेव मसमसाविजइ १, हता! मसमसाविजइ, से जहा-1 नामए के पुरिसे तत्तंसि अयकवल्लंसि उदयबिंदू पक्खिवेजा, से नूर्ण मंडियपुत्ता! से उदरबिंदू तत्तंसि अयकवलंमि पक्खित्ते समाणे खिप्पामेव विद्धंममागच्छइ ?, हंता! विद्धंसमागच्छड, से जहानामए हरण मिया पुण्णे पुण्णणमाणे बोलट्ठमाणे वोसहमाणे समभरघडत्ताए चिट्ठति ?, हंता चिति, अहे णं केइ पुरिसे तंसि हरयंमि एगं महं णावं सतामवं सच्छिदं ओगाहेजा, से नूणं मंडियपुत्ता ! सा नावा तेहिं आमवदारेहिं आपरेमाणी २ पुण्णा पुग्णप्पमाणा बोलट्टमाणा वोसट्टमाणा समभरघडताए चिट्ठति ?, हंता ! चिट्ठति, अहे णं केइ पुरिसे तीसे नावार सवतो समंता आमवदाराई पिहेड २ नावाउस्सिचणएणं उदयं उस्सिचिजा, से नृणं मंडियपुत्ता! सा नावा तंसि उदयंसि उस्सिचिज्जंसि समाणसि विप्पामेव उड्ढं उदाइ ?, हंता! उदाइजा. एवामेव मंडियपुत्ता ! अत्तत्तासंवुडस्स अणगारस्स ईरियासमियस्स जाय गुत्तभयारियस्स आउत्तं गच्छमाणस्स चिट्ठमाणस्स निसीयमाणस्स तुयट्टमाणस्स आउत्तं वत्यपडिग्गहकंचलपायपुंछणं गेहमाणस्स णिग्विवमाणस्स जाव चक्खुपम्ह निवायमवि वेमाया सहुमा ईरियावहिया किरिया काइ, सा पढमसमयबद्धपट्टा बितियसमयवेतिया ततियसमयनिजरिया मा बद्धा पुट्ठा उदीरिया वेदिया निजिण्णा सेयकाले अकम्मं वावि भवति, से तेण?ण मंडियपुत्ता! एवं बुचति-जावं च से जीवे सया समियं नो एयति जावा अंते अंतकिरिया भवति ॥ (सू० १५२) - - ५२-*-*-* - ३२७॥ है।
SR No.600376
Book TitleVyakhyapragnapti Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaydevsuri
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages367
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size31 MB
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