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प्रस्तावना
उत्चराध्ययनसूत्रे
॥६॥
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उदयसगार, अंचलगच्छ, सं० १५४६, ग्रन्थ ८५००, (१८) दीपिका, सं० १६३७ रचित ग्रन्थ १०७०७, (१६) दीपिका हर्षकुल, (२०) टीका, अमरदेवमूरि, चंद्रगच्छ, सम्भव है नं. ४ वाली ही हो । (२१) वृत्ति, शांतिभद्राचार्य, ग्रंथाग्रंथ १८२६५, (२२) वृत्तिदीपिका, ग्रन्थाग्रन्थ, ११०००, (२३) वृत्ति कर्ता अज्ञात ग्रन्थाग्रन्थ १६०७०, (२४) दीपिका, सं० १६४३ लिखित, (२५) टीका, मुनिचंद्रसूरि, ग्रन्थाग्रन्थ १४०००, (२६) अवचूरि ज्ञानशीलगणी, ग्रन्थाग्रन्थ ३६००, (२७) वृहदवृत्ति सम्भव है नं० ३ ही हो । (२८) अक्षरार्थ लवलेश, सं० १६२१ लिखित, (२६) अवचूरि, सं० १४६१ रचित, (३०) अवचूरियां अनेक, १६ वी १७ वीं शताब्दि लिखित, (३१) टब्बा, मेघराजवाचक पायचंदगच्छ, (३२) बालावबोध, समरचंद्र, पायचंदगच्छ, (३३) बालावबोध, कमललाम खरतरगच्छ, सं० १६७४-६8 के बीच, (३४) बालावबोध सं० १७४१ मानविजय, (३५) बालावबोध, अन्य अनेक हैं, स्थानकवासी मुनियों ने भी बनाये हैं। (३६) टब्बा, आदिचंद्र या राजचंद्र, हमारे संग्रह में है, (३७) वृत्ति, खरतर मतिकीर्ति शिष्य रचित, अपूर्णप्रति अभी हमारे संग्रह में है, (३८) उत्तराध्ययन कथा, पद्मसागरगणि सं० १६५७ पीपाड़ में रचित, (३६) उत्तराध्ययन कथा, पुन्यनन्दनगणी तपागच्छ, (४०) उत्तराध्ययन कथा संग्रह, मुनिसुन्दर शिष्य (शुभशील)। (४१) उत्तराध्ययन गीत, महिमासिंह सम्वत् १६७५ । (४२) स्वाध्याय, ब्रह्मऋषि सं० १५९६ ग्रन्थाग्रन्थ ७०० । (४३) उत्तराध्ययन छत्तीसी, पार्श्वचंद्रसूरि । (४४) उत्तराध्ययन छत्तीस, उदयविजय, १८ वीं शताब्दी, प्रकाशित । (४५) उत्तराध्ययन गीत छत्तीस, खरतर राजशील, ग्रंथ ४१६, १६ वीं शताब्दी, (४६) उत्तराध्ययन गीत छत्तीस, राजलाभ, खरतरगच्छ १८ वीं शताब्दी अपूर्ण । (४७) से (५०) स्थानकवासी, तेरहपंथी संप्रदाय के कई टब्बे पद्यानुवाद जीतमलजी का स्थानकवासी आचार्य आत्मारामजी की आत्मज्ञान प्रकाशिका टीका, घासीलालजी की टीका आदि |
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