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कल्पमूत्र
सप्तमः
सुबोधि०
क्षण:
॥
७॥
॥२२८॥
ASSASSASSASSASSAROSSANA
हिन्दी- [१६]
[१७]
[१८] ___ श्रीपद्मप्रभ स्वामिके निर्वाण पीछे नव श्रीसुमतिनाथ स्वामिके निर्वाणसे ९० श्रीअभिनंदनस्वामिके निर्वाणसे नव लाख हजार कोटि सागरोपमे श्रीसुपार्श्वनाथ- हजार कोटि सागरोपमे श्रीपद्मप्रभस्वामि नि- कोटि सागरोपमे श्रीसुमतिनाथ निर्वाण, उसके निर्वाण, तत्पश्चात् ४२ हजार तीन वर्ष साढे वाण, उसके बाद ४२ हजार तीन वर्ष साढे बाद ४२ हजार तीन वर्ष साढे आठ महिने आठ महिने न्यून एक हजार कोटि सागरोपमे आठ महिने न्यून दश हजार कोटि सागरो- न्यून एक लाख कोटि सागरोपमे श्रीमहावीरश्रीमहावीरनिर्वाण, उसके बाद नवसौ अस्सी पमे श्रीमहावीरनिर्वाण, उसके पीछे नवसौ निर्वाण, उसके पीछे नवसौ अस्सी वर्षे पुस्तकवर्षे पुस्तकवाचनादि ॥ ६॥
अस्सी वर्षे पुस्तकवाचनादि ॥ ५॥ वाचनादि ॥४॥ गुजराती- [१६]
[१७]
[१८] ___ श्रीपद्मप्रभ निर्वाणथी नव हजार कोडि श्रीसुमतिनाथना निर्वाणथी नेऊ हजार श्रीअभिनंदनना निर्वाणथी नव लाख कोडि सागरई श्रीसुपार्श्व निर्वाण, तिवारपछी त्रीणि कोडि सागरोपमई श्रीपद्मप्रभ निर्वाण, तिवा- सागरोपमई श्रीसुमति निर्वाण, तिवारपछी त्रीवर्ष साोष्ट मास बइतालीस सहस्र वर्ष न्यून रपछी त्रीणि वर्ष साढाआठ मास बइतालीस णि वर्ष साढाआठ मास बइतालीस सहस्र
एक सहस्र कोटि सागरई श्रीवीरनिर्वाण, सहस्र एतलई न्यून दस हजार कोडि साग- वर्ष न्यून एक लाख कोडि सागरोपमई श्री| तिवारपछी नव शत अइसी वर्षइं पुस्तकवा- रोपमई श्रीवीरनिर्वाण, तिवारपछी नव शत वीरनिर्वाण, तिवारपछी नवसई अइसी वरचनादि ॥६॥
अइसी वर्षई पुस्तकवाचनादि ॥ ५॥ सई पुस्तकवाचनादि ॥४॥
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