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________________ हिन्दी- [३] [१५] ___ श्रीसुविधिनाथ स्वामिके निर्वाण पीछे श्रीचंद्रप्रभ स्वामिके निर्वाणसे ९० कोटि श्रीसुपार्श्वनाथस्वामिके निर्वाण बाद नवसौ नवकोटि सागरोपमे श्रीशीतलनाथ निर्वाण, सागरोपमे श्रीसुविधिनाथ निर्वाण, उसके कोटि सागरोपमे श्रीचंद्रप्रभ स्वामि निर्वाण, उसके बाद ४२ हजार तीन वर्ष साढे आठ बाद ४२ हजार तीन वर्ष साढे आठ महिने उसके बाद ४२ हजार तीन वर्ष साढे आठ महिने न्यून एक कोटि सागरोपमे श्रीमहावीर- न्यून दशकोटि सागरोपमे श्रीमहावीरनिर्वाण, महिने न्यून एकसौ कोटि सागरोपमे श्रीमहानिर्वाण, उसके पश्चात् नवसौ अस्सी वर्षे तिस पीछे नवसौ अस्सी वर्षे पुस्तकवाचना- वीरनिर्वाण, उसके पश्चात् नवसो अस्सी वर्षे | पुस्तकवाचनादि ॥ ९॥ दि ॥ ८॥ पुस्तकवाचनादि ॥ ७॥ गुजराती- [१३] [१५] &ा श्रीसुविधिनाथना निर्वाणथी नव कोडि सा- श्रीचंद्रप्रभना निर्वाणथी नेऊ कोडि साग- श्रीसुपार्श्वना निर्वाणथी नवसई कोडि सागरो-16 गरोपमई श्रीशीतल निर्वाण, तिवारपछी बइता- रोपमई श्रीसुविधिनिर्वाण, तिवारपछी बइ- पमई श्रीचंद्रप्रभ निर्वाण, तिवारपछी बइतालीस सहस्र वर्ष त्रीणि वरस साढाआठ मास तालीस हजार वर्ष त्रीणि वर्ष साढाआठ मास लीस हजार वर्ष त्रीणि वर्ष साढा आठ मास एतलई न्यून एक कोडि सागरोपमई श्रीवीर- एतलई न्यून दस कोडि सागरोपमई श्रीवीर- एतले न्यून एक शत कोटि सागरे श्रीवीर| निर्वाण, तिवारपछी नव शत अइसी वर्षइं निर्वाण, तिवारपछी नव शत अइसी वर्षे पु- निर्वृति, तिवारपछी नव शत अइसी वर्षई पु-| पुस्तकवाचनादि ॥९॥ स्तकवाचनादि ॥८॥ स्तकवाचनादि ॥७॥ [१४] HARRAK
SR No.600342
Book TitleKalpsutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayvijay Gani
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1915
Total Pages622
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size39 MB
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