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________________ कल्पसूत्र सुबोध० ॥२२७॥ हिन्दी [90] [11] [ [१२] श्रीशीतलनाथ स्वामिके निर्वाणसे एकसौ सागरोपम, ६६ लाख २६ हजार वर्षन्यून एक कोटि सागरोपमे श्रीश्रेयांसस्वामिनिर्वाण, उसके बाद ४२ हजार तीन वर्ष साढे आठ महिने न्यून ६६ लाख २६ हजार वर्ष अधिक एकसौ सागरो|पमे श्रीमहावीरनिर्वाण, उसके बाद नवसौ अस्सी ॥ वर्षे पुस्तकवाचनादि ॥ १० ॥ ११ श्रीवासुपूज्य स्वामिके निर्वाण बाद तीस श्रीश्रेयांस नाथ स्वामिके निर्वाण पीछे ५४ सागरोपमे श्रीविमलनाथ निर्वाण, उसके पीछे सागरोपमे श्रीवासुपूज्यस्वामिनिर्वाण, उसके सोलां सागरोपम, ६५ लाख ८४ हजार नवसौ बाद ४६ सागरोपम, ६५ लाख ८४ हजार अस्सी वर्षे पुस्तकवाचनादि ।। १२ ।। | नवसौ अस्सी वर्षे पुस्तकवाचनादि ॥ गुजराती- [10] श्रीवासुपूज्यना निर्वाणथी त्रीसई सागरो- श्रीश्रेयांसना निर्वाणथी चउपन्न सागरोपमहं पमई श्रीविमलनिर्वाण, तिवारपछी सोल श्रीवासुपूज्यनिर्वाण, तिवारपछी छइतालीस सागर पांसठि लाख चोरासी सहस्र नव शत सागरोपम पांसठि लाख चउरासी सहस्र नव अइसी वर्ष पुस्तकवाचनादि ।। १२ ।। [11] शत अइसी वर्ष पुस्तकवाचनादि ॥ ११ ॥ [ [१२] श्रीशीतलनाथना निर्वाणथी एक शत सागरोपम तथा छासठि लाख छव्वीस सहस्र एतलई वरसई न्यून एक कोडि सागरोपमइं श्री श्रेयांसनिर्वाण, तिवारपछी त्रीणि वर्ष साढा आठ मास अनई बइतालीस सहस्र वर्षई न्यून एहवां छासठि लाख छव्वीस सहस्र वरसई अधिक एक शत सागरोपम श्रीवीरनिर्वाण, तिवारपछी | नव शत अइसी वर्ष पुस्तकवाचनादि ||१०|| सप्तमः क्षणः ॥ ७ ॥ ॥२२७॥
SR No.600342
Book TitleKalpsutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayvijay Gani
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1915
Total Pages622
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size39 MB
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