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________________ [ सुखावबोधाय नृभाषया यंत्ररूपेण वर्णनम् ] हिन्दी [1] [२] [ ३ ] श्री मुनिसुव्रतस्वामिके निर्वाण बाद छ लाख श्रीमल्लिनाथस्वामिके निर्वाणसे ५४ लाख श्रीनमिनाथ स्वामिके निर्वाण बाद पांच लाख वर्षे श्रीनेमिनाथ स्वामिका निर्वाण, उसके वर्षे श्रीनमिनाथ निर्वाण, उसके बाद पांच वर्षे श्रीमुनिसुव्रतस्वामिनिर्वाण, उसके बाद ११ बाद चउरासी हजार नवसौ अस्सी वर्षे लाख चउरासी हजार नवसौ अस्सी वर्षे लाख ८४ हजार नवसौ अस्सी वर्षे पुस्तक - पुस्तकवाचनादि ॥ २१ ॥ पुस्तकवाचनादि ॥ २० ॥ | वाचनादि ॥ १९ ॥ गुजराती [*] [२] [३] श्रीनमिनाथना निर्वाणथी पांचलाख वरसे श्रीनेमिनिर्वाण, तिवारपछी चोरासी सहस्र नव शत अइसी वरसई पुस्तक वाचनादि ॥ २१ श्रीमुनिसुव्रतना निर्वाणथी छलाख वरसे श्रीमल्लिनाथना निर्वाणथी चउपन्न लाख श्रीनमिनिर्वाण, तिवारपछी पांच लक्ष चउरा - वरसई श्रीमुनिसुव्रत निर्वाण, तिवारपछी इग्यार सी सहस्र नव शत अइसी वर्षे पुस्तकवाच- लाख चउरासी सहस्र नव शत अइसी वर्षे नादि ॥ २० ॥ | पुस्तकवाचनादि ॥ १९ ॥ ॥
SR No.600342
Book TitleKalpsutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayvijay Gani
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1915
Total Pages622
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size39 MB
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