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उत्तराध्ययन ॥३७२॥
षट्त्रिंशमध्ययनम्.
गा३७-४६
फासओ लहुए जे उ, भइए से उ वण्णओ। गंधओ रसओ चेव, भइए संठाणओवि अ ॥ ३७॥ फासओ सीअए जे उ, भइए से उ वण्णओ।गंधओ रसओ चेव, भइए संठाण
ओवि अ॥ ३८ ॥ फासओ उहए जे उ, भइए से उ वण्णओ। गंधओ रसओ चेव, भइए संठाणओवि अ ॥ ३९ ॥ फासओ निद्धए जे उ, भइए से उ वण्णओ । गंधओ रसओ चेव, भइए संठाणओवि अ ॥ ४० ॥ फासओ लुक्खए जे उ, भइए से उ वण्णओ। गंधओ रसओ चेव, भइए संठाणओवि अ॥४१॥ परिमंडलसंठाणे, भइए से उ वण्णओ । गंधओ रसओ चेव, भइए फासओवि अ॥ ४२ ॥ संठाणओ भवे वट्टे, भइए से उ वण्णओ । गंधओ रसओ चेव, भइए फासओवि अ ॥४३॥ संठाणओ भवे तंसे, भइए से उ वण्णओ । गंधओ रसओ चेव, भइए फासओवि अ ॥ ४४ ॥ संठाणओ अ चउरंसे, भइए से उ वण्णओ । गंधओ रसओ चेव, भइए फासओवि अ॥४५॥ जे आययसंठाणे, भइए से उ वण्णओ। गंधओ रसओ चेव, भइए फासओवि ॥४६॥
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