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________________ XXXXX मुहपत्तिं पडिलेहित्ता, पडिलेहिज्ज गोच्छयं । गोच्छ्गलइयंगुलिओ, वत्थाई पडिलेहए ॥ २३ ॥ उडुं थिरं अतुरियं, पुवं ता वत्थमेव पडिलेहे । तो बिइयं पप्फोडे, तइयं च पुणो पमज्जिज्जा ॥ २४ ॥ अणञ्चावियं अवलियं, अणाणुबंधिं अमोसलिं चेव । छप्पुरिमा नव खोडा, पाणीपाणिविसोहणं २५ आरभडा सम्मद्दा, वज्जेयवा य मोसली तइया । पप्फोडणा चउत्थी, विक्खित्ता वेइया छट्ठा ॥ २६ ॥ पसिढिल - पलंब-लोला, एगामोसा अणेगरूवधुणा । कुणइ पमाणि पमायं, संकिए गणणोवगं कुज्जा।। अणूणाइरित्त पडिलेहा, अविवच्चासा तहेव य । पढमं पयं पसत्थं, सेसाणि उ अप्पसत्थाणि ॥ २८ ॥ पडिलेहणं कुणतो, मिहो कहं कुणइ जणवयकहं वा । देइ व पच्चक्खाणं, वाएइ सयं पडिच्छइ वा २९ पुढवी आउक्काए, तेऊ- वाऊ-वणस्सइ-तसाणं । पडिलेहणापमत्तो, छण्हं पि विराहओ होइ ॥ ३० ॥ तइयाए पोरिसीए, भत्तं पाणं गवेसए । छण्हं अण्णयरागम्मि, कारणम्मि समुट्ठिए ॥ ३१ ॥ वेयणवेयावच्चे, इरियट्ठाए य संजमट्ठाए । तह पाणवत्तियाए, छटुं पुण धम्मचिंताए ॥ ३२ ॥ निग्गंथो धिइमंतो, निग्गंथी वि न करिज्ज छहिं चेव । ठाणेहिं तु इमेहिं, अणइक्कमणा य से होइ ॥ ३३ ॥ आयंके उवसग्गे, तितिक्खया बंभचेरगुत्तीसुं । पाणिदयातवहेउं, सरीरवुच्छेयणट्ठाए ॥ ३४ ॥ अवसेसं भंडगं गिज्झा, चक्खुसा पडिलेहए । परमद्धजोअणाओ, विहारं विहरए मुणी ॥ ३५ ॥ चउत्थीए पोरिसीए, निक्खिवित्ताण भायणं । सज्झायं च तओ कुज्जा, सवभावविभावणं ॥ ३६ ॥ पोरिसीए चउभाए, वंदिताण तओ गुरुं । पडिक्कमित्ता कालस्स, सिजं तु पडिलेहए ॥ ३७ ॥ पासवणुच्चारभूमिं च, पडिलेहिज जयं जई । यतिदिन - कृत्यम् ।
SR No.600327
Book TitleSukhbodhakhya Vruttiyutani Yttaradhyayanani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUmangsuri, Nemichandrasuri
PublisherPushpchandra Kshemchandra
Publication Year1937
Total Pages798
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_uttaradhyayan
File Size21 MB
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