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________________ * * * * * आवश्यकनियुक्तिः श्रीतिलकाचार्यलघुवृत्तिः १६५ एमेव अरजिणिंदस्स चउसुवि ठाणेसु होइ पत्तेयं । इगवीस सहस्साई वासाणं हुंति नायव्वा ।।२९४ ।। मल्लिस्स य वाससयं गिहिवासे सेसयं तु परियाओ । चउप्पन्न सहस्साइं नव चेव सयाइं पुन्नाई ।।२९५ ।। अद्धट्ठमा सहस्सा कुमारवासो य सुव्वयजिणस्स । तावइयं परियाओ पन्नरस सहस्स रजंमि ।।२९६।। नमिणो कुमारवासो वाससहस्साइं दुनि अद्धं च । तावइयं परियाओ पंचसहस्साई रजंमि ।।२९७।। तिनेव य वाससया कुमारवासो अरिट्ठनेमिस्स । सत्त य वाससयाई सामने होइ परियाओ ।।२९८।। पासस्स कुमारत्तं तीसं परियाउ सत्तरी होइ । तीसा य वद्धमाणे बायालीसा य परियाओ ।।२९९ ।। पुनराधजिनाष्टकव्रतपर्यायगाथां पूर्वोक्तामेवाग्रतनगाथासम्बन्धनार्थमाह - उसभस्स पुव्वलक्खं पुव्वंगूणमजियस्स तं चेव । चउरंगूणं लक्खं पुणो पुणो जाव सुविहित्ति ।।३००।। सेसाणं परियाओ कुमारवासेण सहिओ भणिओ । पत्तेयं पिय पुव्वं सीसाणमणुग्गहट्ठाए ।।३०१।। छउमत्थकालमित्तो सोहेउं सेसओ य जिणकालो । सव्वाउयंपि इत्तो उसभाईणं निसामेह ।।३०२।। आ. नि. सामायिक नियुक्तिः * निर्गमद्वारे श्रीऋषभस्वामिवक्तव्यता तीर्थकृतां पर्यायादि । गाथा२९४-३०२ १६५ *******
SR No.600324
Book TitleAvashyak Niryukti Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyakirtivijay
PublisherSanmarg Prakashan
Publication Year
Total Pages522
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_aavashyak
File Size28 MB
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