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________________ नवाङ्गी ० पृ० भीज्ञाताधर्मकथाङ्गे 11811 चालु हतो तेथी ते तपना पारणा निमिते आ ग्रन्थनुं प्रकाशन थाय अने तेनी थोडी नकलो पूज्य साधु साध्वीजीओने वर्षीतपना पारणा निमित्ते मेट अपाय ते हेतुथी श्रीसंघे ते अवसरे चञ्चल लक्ष्मीने स्थिर करवा माटे श्रीसंघनी उदार चित्तवाळी जुदी जुदी व्यक्तिओए पैसा आप्या के जेओश्रीना मुबारक नामो आर्थिक सहायकोनी नामावलिमां छे. प्रथम आवृत्तिरूपे प्रकाशन थयेला श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्गमन्थने हस्तलिखित प्रतो साथे मेळववामां अने प्रत्यन्तरपाठो आपवामां, प्रेसमेटर तैयार करवामां धारणा करतां वधु विलम्ब थयो तेथी प्रेस पर मुद्रण कराववा माटे मोकलवामां विलम्ब थवाथी वर्षी तपना पारणाना अवसर पर ते ग्रन्थ तैयार थइ शक्यो नहिं, परन्तु ते अवसरे दानवीर श्रेष्ठिवर्य श्रीचीमनलाल डाह्याभाई परीख तरफथी 'देशनानन्द सुधासिन्धु' के जेनी अंदर श्रीभगवतिसूत्रनी शरुआतनी शास्त्र प्रस्तावना अने सूत्रो उपर स्त्र० आगमोद्धारकश्रीनी १०१ देशनाओ बहार पडी, अने ते प्रन्थ ६५ फर्मा उपरांतनो दलदार अने पाका बाइन्डींगनो ग्रन्थ वर्षीतपना पारणा निमित्त मेट आपवामां तेओश्रीनी संमति आववाथी आप्यो; आ रीते प्राप्त थयेला प्रसंगने साचवीने ते ओश्रीमाने अखण्ड पुण्य उपार्जन कर्यु. हवे आ ग्रन्थप्रकाशनरूपे प्रसिद्ध थाय छे, तेना मूल निमित्तरूप श्रीवडोदरा श्रीसंघना आगेवानो छे. चातुर्मासना अवसरे श्री वडोदरासंघना माननीय गृहस्थोनी ग्रन्थ प्रकाशनमां आपेली आर्थिक मददने सफलीभूत बनाववा माटेनो उपर जणान्या मुजब प्रथम प्रसंग साचवी न शकायो, छतां पालीताणा खुशालभुवन मां चातुर्मास बिराजमान पू० आचार्यमहाराज श्री चन्द्रसागरसूरिजी पोताना शिष्यप्रशिष्यादि विशाल परिवार साथे शाश्वत तीर्थनी नवाणुं यात्रा करे छे, तेथी तेनी परिसमाप्तिना आ बीजा शुभ प्रसंगे पूर्वे नियत थयेल ग्रन्थनी नकलो भेट तरीके व्हेंचीने पुण्यना भागीदार श्रीवडोदरा श्रीसंघना आर्थिक सहायको बनशे आ हेतुने अत्र स्पष्ट करवामां आवे छे. 59 ग्रन्थप्रकाशन नुं निमित्त | ॥ ४ ॥
SR No.600322
Book TitleGnata Dharmkathangam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrasagarsuri
PublisherSiddhchakra Sahitya Pracharak Samiti
Publication Year1951
Total Pages440
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_gyatadharmkatha
File Size32 MB
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