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HISUCHANA
मार मारवा लाग्या. एक समये सामान्य अपराध आवतां धन्यशेठने जेलमा पूर्या अने विजयचोरनी ज लोखंडी बेडीयी शेठने केव कर्या. भद्राशेठाणी हमेशां सारं सारं खावानुं तैयार करी पंथक नोकर साथे जेलमा शेठने मोकले छे. ते खोराक शेठ एकला खाय छे, भूख्यो विजयचोर शेठ पासे खोराक मागे छे पण शेठ पोताना पुत्रना खून करनार खूनी विजयचोरने आपता नथी अने तेने हलका-तुच्छ शब्दोथी तिरस्कारे छे, विजयचोरने असम मारनी वेदना अने पेटपूर खोराकना अभावथी घणुं लागी आवे छे. धणी वखत शेठने कालावाला करे छे परन्तु शेठ पुत्रना खूनी विजयचोरने कई आपता नथी. थोडा समय बाद धन्यशेठने हाजत लागतां एक ज बेडीमां शेठ अने चोर बन्ने होवाथी शेठे हाजत माटे जवा साथे आववा कयुं त्यारे विजयचोरे तमे आहार-पाणी ज्यो छो एटले तमने हाजत थाय परन्तु मारे तो चाबूकना मारनी असह्य वेदना अने अल्पाहार मलवाथी क्षुधा-तृषाथी हाजतनी शंका थती नथी माटे हुं आवीश नहीं. थोडीवारमा शेठने हाजतनी उतावल थई एटले नम्रता सह कालावाला कर्या त्यारे विजयचोरे शेठने आवता आहारमाथी भाग आपवानी कबुलात मांगी, निरुपाय बनेला शेठे तेनी मागणी कबूल करी पोतानु कार्य पताब्युं, ज्यारे ज्यारे पंथक आहार आदि शेठने आपबा लावे छे त्यारे त्यारे शेठ तेनो भाग आपी पोते खाय छे. आ वात पंथके शेठाणीने कही, शेठाणीने अंदरना रहस्यनी खबर न होवाथी घणुं माटुं लाग्यु. ज्यारे जेलनी सजानी अवधि-मर्यादा पूरी थई एटले शेठ छूटीने पोताना निवासे आव्या. शेठना छूटकाराथी अति हर्षित बनेला स्वजनसम्बन्धीओ हर्षथी शेठने मेटी पढ्या, परन्तु नाराज थयेली शेठाणीए तो शेठनी स्हामुं पण न जोयु, आथी शेठने आश्चर्य थयु. शेठे आम करवानुं कारण शेठाणीने पूछयु, त्यारे केदखानामां पुत्रना खूनी दुश्मनने खावान आप्याना दुःखनी वात करी, शेठे त्यां बनेली हकीकतथी तेने वाकेफ करी. शेठाणी आ श्रवण करी पोतानी तुच्छ बुद्धि माटे घणो
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