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________________ अंगोनो अनुस्यूत-संबंध, आ ग्रंथनुं नाम अने सामग्रीओ, आ प्रन्धना वृत्तिकार; अने अंतमां ग्रन्थसामग्रीना प्रकारो " ए पैरेग्राफोथी आ प्रस्तावनाना उपसंहार साथै परिसमाप्ति थाय छे. आ प्रस्तावनानी परिसमाप्ति साथै अभ्यासकोए वांचकोए, अने विचारकोए एक प्रसंग हृदयपट स्थिर करवा जेवो छे. अने ते प्रसंग ज्ञानाचाना आठ आचारो पैकी उपधान एटले योगोद्वहन वगर सूत्रना पठन-पाठन करावनार बन्नेने ते पठन-पाठनादि नुकशानकारक नीवडे छे. आ संबंधमां वृहद्योगविधि नामना ग्रंथनी प्रस्तावना वांचवानी आग्रहपूर्वक भलामण छे. सूत्रना रहस्य पचाववानी योग्यता योगोद्वहन वगर नथी, अने ज्ञानाचारना ते आचार प्रत्ये आंखमींचामणा निन्दादि करवामां कराववामी, करनारकरावनारा ओर अद्यापि पर्यंत नुकशान अनुभव्युं छे. भने श्रुतधर्मनी आशातनानुं भारी पाप प्राप्त कर्यु छे ते भूलबा जेवुं नथी, माटे जे पुण्यात्माओ ज्ञानाचारना आठे आचारनुं सेवन करीने सूत्रादि लेवा-मेलवानो खप करशे ते आत्माओ जरूर श्रेय साधीने उत्तरोत्तर सुंदर साधन-सामग्री - संयोगो पामीने भाविमां कल्याणमंगलनी मालाओ प्राप्त करशे एवी शुभेच्छापूर्वक अत्र विरमुं हुं. श्रीचन्द्रप्रभासपत्तनतीर्थ, जैनउपाश्रय, (वेरावल समीपे ) श्रीचन्द्रप्रभस्वामिप्रासादस्य प्रतिष्ठापनादिने ता. १-२-५२ माह सुद ६ शुक्रवार. लि० स्व० आगमोद्धारक - श्री आनन्दसागरसूरीश्वरचरणारविंदचश्वरीक - चन्द्रसागरसूरि.
SR No.600322
Book TitleGnata Dharmkathangam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrasagarsuri
PublisherSiddhchakra Sahitya Pracharak Samiti
Publication Year1951
Total Pages440
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_gyatadharmkatha
File Size32 MB
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