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________________ विशेषाव० कोट्याचार्य वृत्ती ॥८९८॥ आ मजायावयणो चरणं चारोत्ति तीऍ आयारो। सो होइ नाणदंसणचरित्ततववीरियवियप्पो ॥३९२०॥ उपाध्यायतस्सायरणपभासणदेसणओ देसिया विमोक्वत्थं । जे ते भावायरिया भावायारोवउत्ता य ॥३९२१॥ नमस्कारः आयरियनमोक्कारो जीवं मोएइ भवसहस्साओ। भावेण करिमाणो होइ पुणोबोहिलाभाए॥नि.९९५॥ आयरियणमोक्कारोधण्णाणभवक्खयं करेंताणं । हिययं अणुम्मोएंतो विसोत्तियावारओहोइ॥नि.९९६॥3 ॥८९८॥ आयरियनमोक्कारो एवं खलु वन्निओ महत्थोत्ति। जो मरणम्मि उवग्गे अभिक्खण कीरई बहुसो॥ आयरियनमोक्कारो, सव्वपावप्पणासणो। मंगलाणं च सव्वेसि, ततियं होइ मंगलं॥नि.९९८॥ नाम ठवणा दविए भावे य चउब्विहो उवज्झाओ। दव्वे लोइयसिप्पा धम्मे तह अन्नतित्थीया ॥९९९॥ बारसंगो जिणक्खाओ, सज्झाओ कहिओ बुहेहिं । जम्हातं उवइसंति, उज्झाया तेण वुच्चति ॥१०००॥ उत्ति उवओगकरणे झत्तिय झाणस्स होइ निद्देसे। एएण होइ उज्झा एसो अण्णोऽवि पजाओ॥१००१॥ उवगम्म जोऽहीयइ जं चोवगयमज्झयाविति । जं चोवायज्झाया हियस्स तो ते उवज्झाया ॥३९२९ आयारदेसणाओ आयरिया विणयणादुवज्झाया । अत्थप्पदायगा वा गुरवो सुत्तस्सुवज्झाया ॥३९३०॥ उज्झायनमोक्कारोजीवं मोएइ भवसहस्साओ। भावेण कीरमाणो होइ पुणो बोहिलाभाए ॥१००२॥
SR No.600321
Book TitleVisheshavashyak Bhashyam Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinbhadra Gani Kshamashraman
PublisherRushabhdev Keshrimal Shwetambar Samstha
Publication Year1937
Total Pages496
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_aavashyak
File Size40 MB
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