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विशेषाव ० कोट्याचार्य
वृत्तौ
॥ ८७५ ॥
दोsa विसेसे अन्नो छउमत्थकेवली को सो। जो पासइ परमाणुं गहणमिणं जस्स होजाहि ॥ ३७५६ ॥ तेसिं चिय छउमत्थाइयाण मग्गिज्जए जहिं सुत्ते । केवलसंजमसंवरबं भाईएहिं नेव्वाणं ॥ ३७५७॥ तिण्णिऽवि पडिसेहेउं तीसुवि कालेसु केवली तत्थ । सिज्झिसु सिज्झइत्ति य सिज्झिस्सइ वा विनिद्दिट्ठो ॥ ३७५८ ॥ एवं विसेसियम परमयमेगंतरोवओगोत्ति । न पुणरुभओवओगो परवत्तव्वंति का बुद्धी १ ॥ ३७५९ ॥ ओगो एयरोपणुवीसइमे सए सिणायस्स । भणिओ वियडत्थोचिय छुट्टदेसे विसेसे || ३७६० ।। एवं फुडवियडम्मिवि सुत्ते सव्वन्नु भासिए सिद्धे । किह तीरइ परतित्थियवत्तव्वमिति वोत्तुं जे १ ॥ ३७६१ ॥ सव्वत्थ सुत्तमत्थिय फुडमेगयरोवउत्तसत्ताणं । उभओवउत्तसत्ता सुत्ते वृत्ता न कत्थइवि ॥ ३७६२।। कस्सइवि नाम कत्थइ काले जइ होज दोऽवि उवओगा। उभओवउत्तसत्ताण सुत्तमेकंपि तो होज्जा ॥३७६३ ॥ दुविहाणं चि जीवाण भणिअमप्पा बहुं च समयम्मि । सागारऽणगाराण य न भणियमुभओवउत्ताणं ॥ ३७६४|| जइ केवलीण जुगवं उवओगो होज होज तो एवं । सागारऽणगाराण य मीसाण य तिण्हमप्पबहुं ॥ ३७६५|| अहव मई छउमत्थे पडुच्च सुत्तमिणं तो न केवलिणो । तंपि न जुज्जइ जं. सव्वसत्तसंखाहिगारोऽयं ||३७६६।। काउं सिद्धग्गहणं बहुवत्तव्वयपदेसु सव्वेसु । इह केवलमग्गहणं जइ तो तंकारणं वच्चं १ ॥३७६७॥ अहवा विसेसियं चिय जीवाभिगमम्मि एयमप्पबहुं । दुविहत्ति सव्वजीवा सिद्धासिद्धाइआ जत्थ ।। ३७६८ ।। सिद्ध सइंदिय काए जोए वेए कसाय लेसाय । नाणुवओगाहारयभासयससरीरचरिमे य ॥ ३७६९ ॥
युगपदुपयोगनिरासः
॥ ८७५॥