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________________ विशेषाव० कोव्याचार्य वृत्तौ ॥८११॥ भूयग्गामो गामो तदेगदेसो तउत्ति नोगामो । देसोत्ति सो किमेकोऽणेगो नेओ नयमयाओ ॥३४१६।। | नमस्कारे तप्परिणओ च्चिय जओ सद्दाईणं तया नमुक्कारो । सेसाणमणुवउत्तोऽवि लद्धिजुत्तोऽहवा रहिओ ॥३४१७॥ संगहनओ नमोकारजाइसामण्णओ सया एक । इच्छइ ववहारो पुण एगमिहेगं यह बहवो ॥३४१८॥ | द्वाराणि उज्जुसुयाईणं पुण जेण सयं संपयं व वत्थुति । पत्तेयं पत्तेयं तेण नमोकारमिच्छन्ति ॥३४१९॥ पडिवजमाणओ पुण एगोऽणेगो व संगहं मोत्तुं । इट्टो सेसनयाणं पडिवमा णियमओऽणेगे ॥३४२०॥ ॥८११। कस्सत्ति नमोकारो पुज्जस्स य संपयाणभावाओ । नेगमववहारमयं जह भिक्खा कस्स? जइणोत्ति ॥३४२१॥ पुज्जस्स व पजाओतप्पच्चयओ घडाइधम्मव्व । त उभावओ वा घडविण्णाणाभिहाणं व ॥३४२२॥ अहवा स करेन्तो चेव तस्स जं भिच्चभावमावन्नो । का तस्स नमोकारे चिंता ? दासक्खरोवम्मे ॥३४२३॥8 जीवस्स सो जिणस्स व अज्जीवस्स उ जिणिंदपडिमाए। जीवाण जईणंपिव अज्जीवाणं तु पडिमाणं ॥३४२४॥ जीवस्साजीवस्स य जइणो विवस्स चेगओ समयं । जीवस्साजीवाण य जइणो पडिमाण चेगत्थं ॥३४२५॥ जीवाणमजीवस्स य जईण बिंबस्स चेगओ समयं । जीवाणमजीवाण य जईण पडिमाण गत्थं ॥३४२६॥ | जीवोत्ति नमोकारो नणु सव्वमयं कहं पुणो भेओ?। इह जीवस्सेव सओ भण्णइ सामित्तचिंतेयं ॥३४२७॥ सामन्नमेत्तगाही सपरजिएयरविसेसनिरवेक्खो। संगहनओऽभिमण्णइ तमिहेगस्साविसिट्ठस्स ॥३४२८॥ जीवस्साजीवस्स व सस्स परस्स व विसेसणेऽभिण्णो । न य भेयभिच्छइ सया स नमोसामण्णमेत्तस्स ।। PRINCREASASARACARROR
SR No.600321
Book TitleVisheshavashyak Bhashyam Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinbhadra Gani Kshamashraman
PublisherRushabhdev Keshrimal Shwetambar Samstha
Publication Year1937
Total Pages496
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_aavashyak
File Size40 MB
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