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विशेषाव कोट्याचार्य वृत्ती
निवः
॥७१३॥
इच्छा दोस-पयत्ता एत्तो कम्म तयं च पंचविहं । उक्खेवणमक्खेवणपसारणाऽऽकुंचणं गमणं ॥२९९२॥ सत्ता सामण्णंपिय सामण्णविसेसया विसेसोय । समवाओ य पयत्था छच्छत्तीसप्पभेया य॥२९९॥ पगईऍ अगारेण य नोगारोभयनिसेहओ सब्वे। गुणिआ चोयालसयं पुच्छाणं पुच्छिओ देवो ॥२९९४॥ पुढवित्ति देइ लेहूं देसोऽवि समाणजाइलिंगोत्ति । पुढवित्ति सो अपुढवीं देहित्तिय देह तोयाई ॥२९९५॥ देसपडिसेहपक्खे नोपुढविं देइ लेहुदेसं सो। लेदुद्दव्वावेक्खो कीरइ देसोवयारो से ॥२९९६॥ इहरा पुढविच्चिय सो लेटु व समाणजाइलक्खणओ । लेहु दलंति व देसो जइ तो लेवि भूदेसो॥२९९७॥ देहि भुवं तो भणिए सव्वा णेया न यावि सा सव्वा । सका सकेणवि याणेउं किमुयावसेसेणं ? ॥२९९८॥ जह पडमाणय भणिए नहि सव्वाणयणसंभवो किंतु। देसाइविसिटुं चिय तमत्थवसओ समप्पेइ ॥२९९९॥ पुढवित्ति तहा भणिए तदेगदेसेवि पगरणवसाओ। लेझुम्मि जायइ मई जहा तहा लेहुदेसेवि ॥३०००॥ लेहव्वावेक्खाए तहवि तद्देसभावओ तम्मि। उवयारो नोपुढवी पुढविच्चिय जाइलक्खणओ ॥३००१॥ पडिसेहदुर्ग पगई गमेइ ज तेण नोअपुढवित्ति। भणिए पुढवित्तिगई देसनिसेहेवि तद्देसो ॥३००२॥ उवयाराओ तिविहं भुवमभुवं नोभुवं च सो देइ । निच्छयओ भुवमभुवं तह सावयवाई सव्वाई॥३००३॥ जीवमजीवं दाउं नोजीवं जाइओ पुणरजीवं । देइ चरिमम्मि जीवं न उ नोजीवं स जीवदलं ॥३००४॥ तो निग्गहिओ छलुओ गुरूवि सक्कारमुत्तमं पत्तो। धिद्धिकारोवहओ छलुओऽवि स बाहिं निच्छूढो॥३००५।।
LGANGANAGA
॥७१३॥
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