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विशेषाव कोट्याचार्य
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आयप्पवायपुव्वं अहिजमाणस्स तीसगुत्तस्स । नयमयमयाणमाणस्स दिहिमोहो समुप्पण्णो ॥२८३५॥
प्रदेशजीवएगादओ पएसा नो जीवो न य पएसहीणोऽवि । जं तो स जेण पुण्णो स एव जीवो पएसोत्ति ॥२८३६॥ निहवः गुरुणाभिहिओ जइ ते पढमपएसो न संमओ जीवो। तो तप्परिणामोचिय जीवो कहमतिमपएसो? ॥२८३७॥3॥
अहव स जीवो किह नाइमोत्ति? को वा विसेसहेऊ ते?। अह पूरणोत्ति बुद्धी एक्केको पूरणो तस्स ॥२८३८॥ एवं जीवबहुत्तं पइजीवं सव्वहा व तदभावो । इच्छा विवजओ वा विसमत्तं सव्वसिद्धी वा ॥२८३९।। जं सव्वहा न वीसुंसव्वेसुवि तं न रेणुतेल्लं व । सेसेसु असंभूओ जीवो कहमंतिमपएसो? ॥२८४०॥ अह देसओव सेसेसु तोऽवि किह सव्वहंतिमे जुत्तो। अंतमि व जोहेऊ स एव सेसेसुवि समाणो॥२८४१॥ नेह पएसत्तणओ अंतो जीवो जहाऽऽइमपएसो। आह सुयम्मि निसिद्धा सेसा न उ अंतिमपएसो॥२८४२।। नणु एगोत्ति निसिद्धो सोऽवि सुए जइ सुयं पमाणं ते। सुत्ते सव्वपएसा भणिया जीवो न चरिमोत्ति २८४३) तंतू पडोवयारी न समत्तपडो य समुदिया ते उ । सवे समत्तपडओ सव्वपएसा तहा जीवो ॥२८४४॥ एवंभूयनयमयं देसपएसा न वत्थुणो भिन्ना। तेणावत्थुत्ति मया कसिणंचिय वत्थुमिह से ॥२८४५॥ जइ तं पमाणमेवं कसिणो जीवो अहोवयाराओ। देसेवि सव्वबुद्धी पवन सेसेवि तो जीवं ॥२४४६॥
जुत्तो व तदुवयारो देसूणे न उ पएसमेत्तम्मि । जह तंतूणम्मि पडे पडोवयारो न तंतुम्मि ॥२८४७॥ इय पण्णविओ जाहे न पवजइ सो तओ कओ बज्झो । तत्तो आमलकप्पाय मित्तसिरिणा सुहोवायं ॥२८४८॥