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________________ विशेषाव कोट्याचार्य आद्यगणधर: वृत्तौ // 479 // // 479 // SOSAS RAXXA54% न य जीवलिंगसंवन्धदरिसणमभू जओ पुणो सरओ। तल्लिंगदरिसणाओ जीवे संपच्चओहोजा // 2030 // नागमगम्मोवि तओ भिजइज नागमोऽणुमाणाओ। न य कस्सइ पञ्चक्खोजीवो जस्सागमो वयणं॥२०३१॥ जंचागमा विरुद्धा परोप्परमओऽवि संसओ जुत्तो। सव्वप्पमाणविसयाईओजीवोत्ति ते बुद्धी॥२०३२॥ गोयम ! पच्चक्खोच्चिय जीवो जं संसयाइविनाणं / पञ्चक्खं च न सज्झं जह सुहदुक्ख सदेहम्मि // 2033 // / कयवं करेमि काहं चाहमहंपच्या इमाओ य / अप्पा सप्पञ्चक्खो तिकालकज्जावएसाओ॥२०३४॥ कह पडिवण्णमहंतिय किमत्थि नस्थित्ति संसओ कह णु। सइ संसयम्मि वाऽयं अस्साहंपञ्चओ जुत्तो / 2035/4 जइ नत्थि संसइच्चिय किमत्थि नत्थित्ति संसओकस्स? संसइएव सरूवे गोयम! किमसंसयं होजा // 2036 // गुणपञ्चक्रवत्तणओगुणीविजीवो घडोव्व पच्चक्खो। घडओवि घेप्पइ गुणी गुणमेत्तग्गहणओजम्हा।२०३७। अन्नोऽणन्नो व गुणीहोज गुणेहिं जइ नाम सोऽणन्नो। ननु गुणमेत्तग्गहणे घेप्पड़ जीवो गुणी सक्ख // 2038 // अह अन्नो तो एवं गुणिणो न घडादओऽवि पच्चकवा / गुणमेत्तरगहणाओजीवम्मि कओ वियारोऽयं 1 / 2039 / अह मन्नसि अस्थि गुणी न तदवत्थंतरं तओ किंतु। देहे नाणाइगुणा सोच्चिय तेसिं गुणी जुत्तो // 2040 // नाणादओ न देहस्सऽमुत्तिमत्ताइओ घडस्सेव / तम्हा नाणाइगुणा जस्स स देहाहिओ जीवो // 2041 / / इय तुह देसेणायं पञ्चक्खो सव्वहा महं जीवो। अविहयनाणतणओ तुह विण्णाणं व पडिवज // 2042 / / एवंचिय परदेहेऽणुमाणओ गेण्ह जीवमत्थित्ति / अणुवित्तिनिवित्तीओ विन्नाणमयं सरूवे व्व // 2043 / /
SR No.600320
Book TitleVisheshavashyak Bhashyam Purvarddha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinbhadra Gani Kshamashraman
PublisherRushabhdev Keshrimal Shwetambar Samstha
Publication Year1937
Total Pages504
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_aavashyak
File Size40 MB
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