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________________ विशेषाव कोट्याचार्य वृत्ती // 449 // // 449 // ARRORS सो जिणदेहादीणं देवेहिं कओ चिया य थूभा य। सद्दोय रुण्णसद्दो लो(गोवितओतहा पगओ) // 1647 / / (छेलावणमुक्किट्ठाइ बाल )कीलावणं च सेंटाई। इक्वणियादिमयं वा पुच्छा पुण किं कहिं कज्जं॥१६४८॥ सर्वजिनानां अहव निमित्तादीणं सुहसतियादि सुहदुक्खपुच्छा वा / इच्चेवमाइयाए उप्पण्णं उसभकालंमि // 1649 // दसंबोधनादि किंचिच्च भरहकाले कुलगरकालेवि किंचि उप्पण्णं / पहुणा उ देसियाइं सब्वकलासिप्पकम्माई // 1650 // उसभचरियाहिगारे सव्वेसिं जिणवराण सामण्णं। संबोहणादि वोत्तुं वोनिलहि पत्तेयमुसभस्स॥१६५१॥ संबोहणपरिचाए, पत्तेयं उवहिमि य / अन्नलिंगे कुलिंगे य, गामायारपरीसहे // 1652!! जीवोवलंभे सुतलंभे, पञ्चक्खाणे य संजमे / छउमत्थतवोकम्मे, उप्पया णाणसंगहे // 1653 // तित्थं गणो गणहरा, धम्मोवायस्स देसगा। परियाय अंतकिरिया, कस्स केण तवेण वा // 1654 // सव्वेऽवि सयंबुद्धा लोगंतियबोहिया य जीयंति। सव्वेसि परिचाओ संवच्छरियं महादाणं // 1655 // रत्नादिचाओविय पत्तेयं को व केत्तियसमग्गो / को कस्सुवही को वाऽणुण्णाओ केण सीसाणं // 1656 // एगो भगवं वीरो पासोमल्ली य तिहि तिहि सरहिं / भगवंपि वासुपुज्जो छहिं पुरिससरहिं निक्खंतो॥१६५७॥ उग्गाणं भोगाणं राइण्णाणं च खत्तियाणं च / चउहिं सहस्सेहुसभो सेसा साहस्सिपरिवारा // 1658 // सब्वेवि एगदूसेण निग्गया जिणवरा चउव्वीसं। ण य नाम अन्नलिंगे नो गिहिलिंगे कुलिंगे वा // 1659 // समइत्त सुमइत्य निचभत्तो वसुपुज्जो निग्गतो चउत्येणं। पासोमल्लीविय अट्ठमेण सेसा उछ?णं॥१६६०॥ RECORDAEXSACACHER
SR No.600320
Book TitleVisheshavashyak Bhashyam Purvarddha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinbhadra Gani Kshamashraman
PublisherRushabhdev Keshrimal Shwetambar Samstha
Publication Year1937
Total Pages504
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_aavashyak
File Size40 MB
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