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________________ SONA निगेम भेदाः // 44 // विशेषाव मिति॥१५३९॥ तथा-खेत्ते' इत्यादि / कस्मिश्चतत्सामायिक क्षेत्रे काले च प्रस्तूतं, भावतो-मावं चाङ्गीकृत्य कोऽसौ पुरुषविशेषो', द्र 12 यत इदं प्रसूतमिति वर्तते / उत्तरगाथाघटनार्थमाह-क्षेत्रकालभावत्रयं निर्गमविशेष एव, तस्य षड्विधत्वाद् // 1540 // आह चवृत्तो नामं ठवणा दविए खेत्ते काले तहेव भावे य / एसो उ निग्गमस्सा निक्खेवो छव्विहो होइनि१४५।। // 440 // दवाओ दव्वस्स व विणिग्गमो दम्वनिग्गमो सो य / तिविहो सच्चित्ताई तिविहाओ संभवो नेओ / / 1542 // पभवो सचित्ताओ भूमेरंकुरपयंगबफाई / किमिगन्भसोणियाई मीसाओ थीसरीराओ॥१५४३।। किमिघुणघुणचुण्णाई दारुओ जं व निग्गयं जत्तो / दव्वं विगप्पवसओ जह सन्भावोवयारेहिं // 1544 // | खेत्तस्स विनिग्गमणं सरूवओ नत्थि तं जमक्किरियं / खेत्ताओ खेत्तम्मि व हवेज दवाइनिग्गमणं // 1545 // उवयारओ व खेत्तस्स निग्गमो लोगनिक्खुडाणं च / लद्धं विनिग्गयंति य जह खेत्तं राउलाउत्ति // 1546 // कालोवि दव्वधम्मो निक्किरिओ तस्स निग्गमो पभवो / तत्तो चिय दवाओ पभवइ काले व जं जम्मि॥ उवयारओ व सरओ विणिग्गओ निग्गओ य तत्तोऽहं / अहवा दुक्कालाओ नरो व बालाइकालाओ॥१५४८॥ भावोऽवि दव्वधम्मो तत्तो चिय तस्स निग्गमो पभवो। दव्वस्स व भावाओ विणिग्गमो भावओऽवगमो॥ रूवाइ पोग्गलाओ कसायनाणादओ य जीवाओ। निति पभवंति ते वा तेहिंतो तविओगम्मि // 1550 // तत्थ पसत्थं मिच्छत्तण्णाणा विरहभावनिग्गमणं / जीवस्स संभवंति य ज सम्मत्तादओ तत्तो॥१५५१॥ एल्थ उ पसत्यभावप्पसूइमेत् विसेसओहिगयं / अपसत्थावगमोविय सेसावि तदंगभावाओ // 1552 // समझRAEROk CANARA
SR No.600320
Book TitleVisheshavashyak Bhashyam Purvarddha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinbhadra Gani Kshamashraman
PublisherRushabhdev Keshrimal Shwetambar Samstha
Publication Year1937
Total Pages504
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_aavashyak
File Size40 MB
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