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________________ विशेषाव कोव्वाचाये वृत्तौ // 415 // एवं खेत्ताईसुवि सधम्मविणिओगओऽणुओगोत्ति / विवरीए विवरीओ सोदाहरणोऽणुगंतव्वो // 1426 // अनुयोगनियओ व निच्छिओ वाहिओ व जोगो मओ निओगोत्ति / नेओ सभेअलक्खणसोदाहरणोऽणुओगोव्व // नियोग'खीर मित्यादि भाष्यगाथाः पञ्च // दारं // 21-25 // 'वुज्जे (वच्छे)त्यस्य भाष्यम् / 'एव'मित्यादि / एवं क्षेत्रेऽप्येतो, आदि- निरूपणा शब्दात्स्वाध्यायादीनि, उक्तानि चोदाहरणानीति, अणुयोगोत्ति सर्वथा गत // द्वारम् / 'नियोगो यति 'नियओवेत्यादि पूर्वार्द्धन // 415 // शब्दार्थः उत्तरार्द्धन त्वतिदेश इति // द्वारं // 26-27 // भासा वत्ता वाया सुयवत्ती भावमेत्तयं सा य / सुयभावमेत्तयं जह सामइयमिहेवमाईयं // 1428 // विविहा विसेसओ वा होइ विभासा दुगाइपज्जाया। जह सामइयं समओ सामाओ वा समाओ वा॥ वित्तीए वक्खाणं वत्तियमिह सव्वपनवेहिं वा / वित्तीओ वा जायं जम्मि व जह वत्तए सुत्ते // 1430 // उक्कोसयसुयनाणी निच्छयओ वत्तियं वियाणाइ / जो वा जुगप्पहाणो तओ य जो गेण्हए सव्वं / 1431 // ऊणं सममहियं वा भणियं भासंति भासगाईया। अहवा तिण्णिवि साहेज कट्ठकम्माइनाएहिं // 1432 // कट्टे पोत्थे चित्ते सिरिघरिए बोंड देसिए चेव / भासग-विभासए वा वित्तीकरणे य आहरणा (नि.१२९)17 पढमो रूवागारं थूलावग्रवोवदंसणं बीओ। तइओ सव्वावयवे निहोसे सव्वहा कुणइ // 1434 // कट्ठसमाणं सुत्तं तदत्थरूवेगभासणं भासा / थूलत्थाण विभासा सब्वेसि वत्तियं नेयं // 1435 // पोत्थं विट्ठागारं दिहावयवं समत्तपज्जायं / जह तह सुत्तं भासा विभासणं वत्तियं चेव // 1436 //
SR No.600320
Book TitleVisheshavashyak Bhashyam Purvarddha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinbhadra Gani Kshamashraman
PublisherRushabhdev Keshrimal Shwetambar Samstha
Publication Year1937
Total Pages504
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_aavashyak
File Size40 MB
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