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________________ -% AGER विशेषावः ___ इदानीं श्रेणिकविषयकोवोदाहरणं-रायगिहे नगरे सेणिओ राया, चेल्लणा से मज्जा, सा संझासमए महावीरवद्धमाणसामि वंदि 4 अनुयोगान कोखाचार्य है |उ माहमासे णगरं पविसइ, दिट्ठो य निरावरणो पडिमापडिवन्नगो अणगारोत्ति, तओ से रयणीए सुत्तियाए कंबलरयणाओ बाहा-नि- नुयोगयो ग्गया, सीएण भिण्णा, चेइयं, पवेसिया, तप्फासेण सव्वंगिओ उक्कंपो संवुत्तोत्ति भणियं-स तपस्वी किं करिष्यतीति ?, ततो सेणि-2 | दृष्टान्ताः // 41 // एण सोऊणं भणियं-जं तइ भणि(वि)यव्वंति, तओ रुटेण अभओ भणिओ-सिग्धं अंतेउरं पलीवेहित्ति, सेणिोऽवि गओ भगवत्समीपे, // 414 // अमएणवि सुण्णहत्थिसाला पलीविया, सेणिओ सामि पुच्छइ-भगवं! चेल्लणा एगपत्ती अणेगपत्तित्ति, सामिगा भणियं-एगपत्ती, ताहे मा डज्झिहित्ति तुरियं नगरं पविसिउमाढतो, अभओऽवि णिग्गंतुमाढतो, पुच्छिओ, कहियं-पलीवियत्ति, सेणिएण कुद्धेण भणियं| अचाणोऽवि किन्न पलीविओत्ति ?, सो भणइ-अहं पव्वइस्स, किं पलीवणेण?, तओ मा एस राया वादेण (पाणे) छड्डिज्जिहित्ति सम्भावो कहिओ। एत्थ सेणियस्स पुव्वं चेल्लणाए अणणुयोगो, पच्छा अणुओगोत्ति 7 // एवं विवरीयाविवरीयपरूवणेण सो सो| यत्ति / मूलगाथाद्वयव्याख्यानतस्सप्रतिपक्षः अनुयोगो गत इति गाथार्थः // 1419-20 // खीरं न देइ सम्म परवच्छनिओगओ जहा गावी / छईज व परदुद्धं करेज देहोवरोहं वा // 1421 // तह न चरणं पसूते परपज्जायविणिओगओ दव्वं / पुवचरणोवघायं करेइ देहोवरोहं वा / / 1422 // जिणवयणासायणओ उम्मायाऽऽतंकमरणवसणाई / पावेज सव्वलोयं स बोहिलाहोवघायं च // 1423 // दव्वविवज्जासाओ साहणमेओ तओ चरणमेओ। तत्तो मोक्खाभावो मोक्खाभावेऽफला दिक्खा // 1424 // सम्म पयं पयच्छह सवच्छविणिओगओ जहा घेणू / तह सयपजवजोए दवं चरणं जओ मोक्खो।१४२५॥ RSHISHASHMISHRSSROSHAN -%A 4 %
SR No.600320
Book TitleVisheshavashyak Bhashyam Purvarddha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinbhadra Gani Kshamashraman
PublisherRushabhdev Keshrimal Shwetambar Samstha
Publication Year1937
Total Pages504
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_aavashyak
File Size40 MB
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