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________________ विशेषाव कोट्याचार्य *COR // 409 // CARRORRERAKAAS | त्येवमादिगाथा-बद्धो भणिए मुक्को भणिओ य हियट्ठयाए सो तेहिं / मृढ ! भणेजसु एवं दिणेर होउ मे एयं // 9 // सो एवंति भणित्ता पुणो पहिओ, अन्नया रायउत्तं नियलियं पेच्छिऊणाह-जावेह चंदसूरा तवंति गयणंगणे गुणविसाले / ताव तुह एरिसं होउ, नाह ! जमई नुयोगयो| नियच्छामि // 10 // बद्धो मुक्को भणिओ य एरिसे भण्णए इमं मूढ! तुम्ह इमं अजं चिय विहडउ कि कालखेवेण',॥११॥ ताहे एवंति दृष्टान्ताः भणिऊणं पहिओ-पेच्छइ य दोण्ह सुबहुयकालविरुद्धाण नरवरिंदाणं / साहुपुरिसेहिं सद्धिं नरघट्ट कीरमाणीं सो // 12 // सो भणइ IC // 409 // | तुम्भ एवं विहडउ अज्जेव कित्थ कालेण ? / इय सो कहिंचि नीओ, एगस्सोलग्गओ जाओ // 13 // अन्नया दुब्भिक्खे तस्स तस्सामिणो भजाये अंबिलजाऊ सिद्धिल्लिया, सो य से तस्सामी ओलग्गओ गओ, सो तीए भणिओ-गच्छाहि, भोइयं भणाहि-एहि जाव अंबिलजाऊण सीयली होहितित्ति, सो गओ, तेण रण्णो अस्थाइयाये तहेव महया सद्देण सो हक्कारिओ, विलक्खो य जाओ, घरग| तेण य अंबाडिओ, भणिओ य-एरिसे कज्जे सणियं कण्णमूले ठाइऊणं विभाए कहिज्जइ, तओ से अन्नया घरं पलितं, भोइणीए पट्टविओ भोइयं हक्कारेहि, सो गओ, पच्छावे लद्धे चिराओ कण्णे कहेइ, एवं च जाव सो आगच्छइ ताव घरवासी झामिओ, तत्थवि अंबाडिओ, भणिओ य-एरिसे जाहे चेव धूममेत्तंपि होइ ताहे लडं चेव उदयं उवरिं दिज्जइ जाव कंजियंति, एवं, अनया भोइओ | पावारयं ओढिऊग अगुरुणा धूवेइ, धूमो निग्गओ, तेण से उदगतक्कदुद्धाइ संनिहियं अपेच्छंतेण कोसीथकंजिगा सिरए से उक्कि|रिया, जहा तहा विज्झायउत्ति // एवं जो अबंमि वत्तव्वे अन्नं कहेइ तस्स अणणुओगो होइ, विवज्जए अणुओगो भवति, यत आह-वयण'त्ति वचने द्वे अप्येते उदाहृती इति 4|| तथा सप्तैव भवन्ति भावेऽनुयोगाननुयोगयोः प्रतिपादकान्युदाहरणानि, तद्यथा-'सावगे 'त्यादि / अत्र 'सावगमज्ज'त्ति, RACCIAL
SR No.600320
Book TitleVisheshavashyak Bhashyam Purvarddha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinbhadra Gani Kshamashraman
PublisherRushabhdev Keshrimal Shwetambar Samstha
Publication Year1937
Total Pages504
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_aavashyak
File Size40 MB
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