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________________ BOAR क्षपकश्रेणिः विशेषाव. कोब्याचार्य // 385 // जह सुद्धजलाणुगयं वत्थं सुद्धं जलक्खए सुतरं / सम्मत्तसुद्धपोग्गलपरिक्खए दसणंऽपेवं // 1328 // तम्मि य तइयचउत्थे भवंमि सिझंति खइयसमत्ते। सुरनरयजुगलिसु गई इमं तु जिणकालियणराणं / 1329|| सेसन्नाणोवगमे सुद्धयरं केवलं जहा नाणं / तह खाइयसम्मत्तं खओवसमसम्मविगमम्मि // 1330 // निव्वलियमयणकोरवभत्तं तेल्लाइमीसियं मदए / न उ सोऽवाओ निव्वलियमीसमयकोदवचाए // 1331 // तह सुद्धमिच्छ सम्मत्तपोग्गला मिच्छमीसिया मिच्छं (मीसं)। होज परिणामओ वा सोऽवाओ खाइए नत्थि।। बद्धाऊ पडिवन्नो नियमा खीणम्मि सत्तए ठाइ / इयरो अणुवरओ चिय सयलं सेटिं समाणेइ // 1333 // बिइयतइए फसाए अट्ठारंभेइ समयमेसिं च / खवियम्मि मज्झभागे पयडीओ सोलस खवेइ // 1334 // नरयतिरियाणुपुव्वी गई उ चत्तारि आदिजाईओ। आयावं उज्जोयं थावर साहरणं सुहुमं // 1335 // तिन्नि महानिहाओ अट्ठगसेसं तओऽणुदिण्णाणं / वेयाण जहन्नयरं तत्तो बीयं तओ छक्कं // 1336 / / तत्तो य तइयवेयं एक्केक्कं तो कमेण संजलणं / सव्वत्थ सावसेसे मग्गिल्ले लग्गइ पुरिल्ले // 1337 / / दसणमोहक्खवणे नियहि अनियहिवायरो परओ। जाव उ सेसो संजलणलोभसंखेजभागोत्ति // 1338 // तदसंखिज्जइभागं समए समए खवेइ एक्केक्कं / तत्थ य सुहुमसरागो लोभाणू जावमेक्कोऽवि // 1339 // खीणे खवगनिगंठो वीसमए मोहसागरं तरिउं / अंतोमुहुत्तमुदहिं तरि थाहे जहा पुरिसो // 1340 // छउमत्थकालदुचरिमसमए निई खवेइ पयलं च.| चरिमे केवललामो खीणावरणंतरायस्स // 1341 // ROKAR R ES
SR No.600320
Book TitleVisheshavashyak Bhashyam Purvarddha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinbhadra Gani Kshamashraman
PublisherRushabhdev Keshrimal Shwetambar Samstha
Publication Year1937
Total Pages504
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_aavashyak
File Size40 MB
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