________________ विशेषावा कोट्याचार्य उपशम श्रणिः // 379 // // 379 // उवसामगसेढीए पट्टवओ अप्पमत्तविरओ उ। पज्जवसाणे सो वा होइ पमत्तो अविरओ वा // 1290 // अन्ने भणंति अविरयदेसपमत्तापमत्तविरयाणं / अन्नयरो पडिवजह सणसमणम्मि उ नियट्टी // 1291 // भवमणुबंधति अओऽणंतमणंताणुबंधिणो तेणं / ते चत्तारिवि समयं समेइ अंतोमुहत्तणं // 1292 / / तत्तो य दसणतिगं तओऽणुइण्णं जहन्नयरवेयं / तत्तो वितियं छक्कं तओ य वेयं सयमुदिन्नं // 129 / / मझिल्लकसायाणं कोहाइ समाणजाइए दो दो / एक्केक्केणंतरिए संजलणेणं उवसमेइ // 1294 // संजलणाईण समो जुत्तो संजोयणादओ जे उ ते पुव्वं चिय समिया नणु सम्मत्ताइलाभम्मि // 1295 // आसि खओवसमो सिं समोऽहुणा भणइ को विसेसोसिं?। नणु खीणम्मि उइण्णे सेसोवसमे खओवसमो॥ सो चेव नवसमो उइए खीणम्मि सेसए समिए / सुहुमोदयया मीसे न तूवसमिए विसेसोऽयं // 1297 // वेएइ संतकम्मं खओवसमिएसु नाणुभावं से / उवसंतकसाओ पुण वेएइ न संतकम्मपि // 1298 // संजोयणाइयाणं नणूदओ संजयस्स पडिसिद्धो / सचमिह सोऽणुभावं पडुच्च न पएसकम्मं तु // 1299 // भणियं च सुए जीवो वेएइ नवाऽणुभावकम्मति / जं पुण पएसकम्मं नियमा वेएइ तं सव्वं // 1300 // नाणुदियं निजीरइ नासंतमुदेइ जं तोऽवस्सं / सव्वं पएसकम्म वेएउं मुच्चए सव्वो // 1301 / / किह दसणाइघाओ न होइ संजोयणाइवेदयओ? / मंदाणुभावयाए जहाऽणुभावम्मिवि कहिंचि // 1302 / / निचोदिन्नपि जहा सयलचउण्णाणिणो तदावरणं / न विघाइ मंदयाए पएसकम्मं तहा नेयं // 1303 / /