________________ विशेषाव कोव्याचार्य वृत्ती // 326 // ईरह विसेसेण व स्ववेइ कम्माई गमयह सिवं वा / गच्छइ य तेण वीरो स महं वीरो महावीरो // 1065 // // श्रीवीरगनअमरनररायमहियंति पूइयं तेहिं किमुप सेसेहिं / संपइ तित्थस्स पहू मंगल्लमहोवगारिं च // 1066 // परवाचकएक्कारसऽविगणहरे पवायए पवयणस्त वंदामि।सव्वंगणहरवंसंवायगवंसं पवयणंच॥१०६७॥[नि.८३] 13 वंशनति पूर्व प्रतिज्ञा पुनो जहऽत्थवत्ता सुयवत्तारो तहा गणहरावि / पुज्जा पवायगा पवयणस्स ते बारसंगस्स / / 1068 // जहवा रायाऽणत्तं रायनिउत्तपणओ सुहं लहइ / तह जिणवरिंदविहियं गणहरपणओ सुहं लहइ॥१०६९॥ // 326 // जह मूलसुयप्पभवा पुजा जिणगणहरा तहा जेहिं / तदुलयमाणीयभिदंतेसिसोकिह न पुज्जो // 1070 / / जिणगणहरुग्गयस्सविसुयस्सको गहण-धरण-दाणाई / कुणमाणोजा गणहरवायगवंसोन होजाहि॥१०७१॥ सीसहिया वत्तारो गणाहिवा गणहरा तयत्थस्स / सुत्तस्सोवज्झाया वंसो तेसि परंपरओ // 1072 // पगयं पहाणवयणं पवयणं बारसंगमिह तस्स / जइ वत्तारो पुजा तंपि विसेसेण तो पुज्जं // 1073 // ते वंदिऊण सिरसा अत्यपुहत्तस्स तेहिं कहियस्स। सुयनाणस्स भगवओनिज्जुत्तिं कित्तइस्सामि [नि. 84] | ते तित्थयराईएऽभिवंदिउं सुकयमंगलायारो / निविग्धमओ वोच्छं, पगयमुवग्घायनिज्जुत्तिं // 1075 // अत्थो सुयस्स विसओतत्तो भिन्नंसुयं पुहुत्तंति। उभयभिदंसुयनाणं नियोजणं तेसि निज्जुत्ती॥१०७६॥ अत्यस्स व पिहुभावो पुहुलमत्थस्स वित्थरत्तंति / इह सुयविसेसणं चिय अत्थपुरत्तं व से सण्णा // 1077 / /