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________________ विशेषाव सेवास्य व्याख्या यन्न्यासमात्रमितिकृत्वा। द्वारम् / तथोद्देशादिभिरिः'उपोद्घात' शास्त्रोत्पत्तिरनुगम्यत इत्यध्याहारः॥९७५|तद्यथा 8 उद्देशादिषु कोव्याचार्य || उद्देसे निद्देसे य निग्गमे खेत्त काल पुरिसे य / कारण पच्चय लक्खण नए समोयारणाऽणुमए (नि.७९) | पुनरुक्तत्वेवृत्तौ किं कइविहं कस्स कहिं केसु कह केच्चिरं हवइ कालं। कइ संतरमविरहियं भवाऽऽगरिस फासण निरुत्ती (80) निरास: // 304 // 'उद्देस' इत्यादि / 'किमित्यादि। // 304 // अज्झयणं उद्देसोभिहियं सामाइयंति निद्देसो / सामण्णविसिट्ठाणं अभिहाणं सत्थनामाणं // 978 दारोवन्नासाइसु निक्खेवे ओहनामनिप्फन्ने / उद्देसो निद्देसो भणिओ इह किं पुणग्गहणं ? // 979 / / इह विहियाणमणागयगहणं तत्थऽनहा कहं कुणउ ? / तेसिं गहणमकाउं दारनासाइकजाइं? // 980 // अहवा तत्थुद्देसो निद्देसोविय कओ इह तेसिं | अस्थाणुगमावसरे विहाणवक्वाणमारद्धं // 28 // अन्ने उ विसेसमिहं भणति नोद्देसबद्धमेयंति / जाणावियमझयणं समासदारावयारेणं // 982 // अंगाइपण्हकाले कालियसुयमाणसमवयारे य / तमणुद्देसयबद्धं भणियं चिय इह किमन्भहियं ? // 18 // नणु निग्गमो गउ चिय अत्ताणंतरपरंपरागमओ। तित्थराईहिंतो.आगयमेयं परंपरया // 984 // इह तेसिं चिय भण्णइ निद्दसो निग्गमो जहा तं च / उवयातं तेहिंतो खेत्ताइविसेसियं बहुहा // 985 // . अज्झयणलक्खणं नणु खओवसमियं गुणप्पमाणे वा नाणागमाइगहणे भणियं किमिहं पुणोगहणं?॥९८६॥ REASOLX SANSAR
SR No.600320
Book TitleVisheshavashyak Bhashyam Purvarddha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinbhadra Gani Kshamashraman
PublisherRushabhdev Keshrimal Shwetambar Samstha
Publication Year1937
Total Pages504
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_aavashyak
File Size40 MB
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