________________ ओषादयो विशेषाव० कोव्याचाये वृत्ती निक्षेपाःनि युक्तिभेदाच // 30 // | // 30 // tortortoronto -ओहो ज सामण्णं सुयाभिहाणं चउन्विहं तं च / अज्झयणं अज्झीणं आओ झवणा य पत्तेयं // 16 // नामाइचउन्भेयं वण्णेऊणं सुयाणुसारेणं / सामाइयमाउजं चउसुंपि कमेण भावेसु // 962 // जेण सुहप्पज्झयणं अज्झप्पाणयणमहियमयणं वा / बोहस्स संजमस्स व मोक्खस्स व जं तमज्झयणं / / अझीणं दिजंतं अव्वोच्छित्तिनयोत्थिकायव्व / आओ नाणाईणं झवणा पावाण कम्माणं // 964 // सामाइयंति नाम विसेसविहियं चउब्विहं तं च / नामाई निरुत्तीए सुत्तप्फासे य तं वोच्छं // 965 // इह जइ कीस निरुत्ते तत्थ व भणिएह भण्णए कीस / निक्खेवमित्तमिहई तस्स निरुत्तीऍ वक्खाणं॥ तो कीस पुणो सुत्ते ? सुत्तालावो तओ न तन्नामं / इह उण नाम नत्थं तं वक्खायं निरुत्तीए // 967 // इह पुण कीस न भण्णइ ? निक्खेवो इमो स निज्जुत्ती। निज्जुत्ती वक्खाणं निक्खेवोनासमेतं तु॥९६८॥ नणु निज्जुत्तिअणुगमे भणिया एसावि नासनिज्जुत्ती। सच्चमियं निज्जुत्ती इयं तु निक्खेवमित्तस्स // 969 // निक्खेवमित्तमहवा अत्यवियारो य नासजुत्तीए। सद्दगओ य निरुत्ते सुत्तप्फासम्मि सुत्तगओ॥९७०॥ जो सुत्तपयनासोसोमुत्तालावयाण निक्खेवो। इह पत्तलक्षणो सो निक्खिप्पइन पुण, किं कज्जं // 971 // सुत्तं चेव न पावइ इह सुत्तालावयाण कोऽवसरो? सुत्ताणुगमे काहिइ तण्णासं लाघवनिमित्तं // 972 // इह जइ पत्तोवि तओ न नस्सए कीस भण्णए इहई / दाइजइ सो निक्खेवमेत्तसामण्णओ नवरं // 973 // संपयमोहाईणं संनिक्खित्ताणमणुगमो कज्जो / सोऽणुगमो दुविगप्पो नेओ निज्जुत्तिसुत्ताणं // 974 // SALESEARCH