________________ विशेषाव कोव्याचार्य आमीषध्याद्या: लब्धय: % वृचौ // 257 // 257|| ** ** चारण आसीविस केवली य मणनाणिणो य पुव्वधरा / अरहंतचक्कवट्टी बलदेवा वासुदेवा य॥(नि. 70) संफरिसणमामोसो मुत्तपुरीसाण विप्पुसो विप्पो / अन्ने विडिति विट्ठा भासंति य पत्ति पासवणं // 784 // एए अन्ने य बह जेसिं सब्वे य सुरभओऽवयवा / रोगोवसमसमत्था ते होंति तओसहिप्पत्ता // 785 // जो सुणइ सव्वओ मुणइ सव्वविसए व सव्वसोएहिं। सुणइ बहुए व सद्दे भिन्ने संभिन्नसोओसो॥७८६॥ रिजु सामण्णं तम्मत्तगाहिणी रिजुमई मणोनाणं / पायं विसेसविमुहं घडमेत्तं चिंतियं मुणए // 787 // विउलं वत्थुविसेसण माणं तग्गाहिणी मई विउला / चितियमणुसरइ घडं पसंगओ पज्जवसएहिं // 788 // अइसयचरणसमत्था जंघाविजाहिं चारणा मुणओ / जंघाहिं जाइ पढमो नीसं काउं रविकरेऽवि // 789 // एगुप्पाएण गओ रुयगवरमिओ तओ पडिनियत्तो। बीएणं नंदिस्सरमिहं तओ एइ तइएणं // 79 // पढमेण पंडगवणं बीओप्पाएण नंदणं एइ / तइओप्पारण तओ इह जंघाचारणो हो(ए)इ // 79 // पढमेण माणुसोत्तरनगं स नन्दिस्सरं तु बिइएण / एइ तओ तइएणं कयचेइयवंदणो इहई // 792 // पढमेण नन्दणवणे बीओप्पारण पंडगवणंमि / एइ इहं तइएणं जो विज्जाचारणो होइ // 793 // आसी दाढा तग्गयमहाविसाऽऽसीविसा दुविहभेया। ते कम्मजाइभेएण गहा चउविहविगप्पा // 794 // मणनाणिग्गहणेणं विउलमई केवली चउन्भेओ। सम्मत्तनाणदंसणचरणेहिं खयप्पसूएहिं // 795 // ओहिन्नाणावसरे मणपज्जवकेवलाण किं गहणं / लद्धिपसंगेण कयं गहणं जह सेसलद्धीणं // 796 // %%A5%A5%25E0 **** %25%