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________________ विशेषाव कोट्याचार्य वृत्ती // 19 // CAORCAMENDANCE |गलमयमित्यत आह-'तन्नाणलद्धिसहिओऽवि' मंगलज्ञानावरणक्षयोपशमवानपि नोपयुक्तस्तत्रेति, यस्मादेवं 'तो ततः द्रव्यमिति 18 द्रव्ये एका| गाथार्थः // 29 // तत्रैतत्स्यात्-कोऽयमागमो यमाश्रित्यायं द्रव्यमंगलमिति, अत्रोच्यते, ज्ञानं, चोदक आह–'जईत्यादि, यदि ज्ञान- नेकतासामागमस्ततः कथं द्रव्यं, येनायमागमतो द्रव्यमंगलं स्यात्, द्रव्यं चेत् कथमागमो', द्रव्यस्य द्रव्यत्वादागमस्य च ज्ञानत्वात्, त मान्यविशेतस्मादागमतो द्रव्यमंगलमिति विरुदं, उच्यते, आगमस्य-कार्यरूपस्य कारणं-मुलं, किमत आह-आत्मा देहः शब्दच, 'तो' ततोषवादेनयाः द्रव्यमागमः, देहादिषु तदुपचारतया कारणे कार्योपक्षयादिति गाथार्थः // 30 // अधुना को नयः किमागमतो द्रव्यमंगलमिच्छतीत्य-13 स्यां जिज्ञासायामिदं सूत्रम् // 19 // एगो मङ्गलमेगं णेगा गाई गमनयस्स / संगहनयस्स एकं सव्वं चिय मङ्गलं लोए // 31 // एक्को (क) निचं निरवयवमक्कियं सव्वगं च सामन्नं / निस्सामन्नत्ताओ नत्थि विसेसो खपुप्फ व // 32 // चूओ वणस्सइच्चिय मूलाइगुणोत्ति तस्समूहो व्व / गुम्मादओऽवि एवं सब्वे न वणस्सइविसिट्टा // 33 // सामन्नाउ विसेसो अन्नोऽणन्नो व होज ? जइ अण्णो / सो नत्थि खपुष्पंपिवणण्णो सामन्नमेव तयं // 34 // न विसेसत्यंतरभूअं अत्थि सामण्णमाह ववहारो। उवलंभव्ववहाराभावाओ खरविसाणं व // 35 // च्याईएहिंतो को सो अण्णो वणस्सई नाम ? / नत्थि विसेसत्यंतरभावाओ सो स्वपुप्फ व // 36 // जं णेगमववहारा लोअव्ववहारतप्परा सो य / पाएण विसेसमओ तो ते तग्गाहिणो दोऽवि // 37 // तेसिं तुल्लमयत्ते को णु विसेसोभिहाणओ अन्नो? तुल्लत्तेवि इहं नेगमस्स वत्थंतरे मेओ॥ 38 // CAMARACTECE
SR No.600320
Book TitleVisheshavashyak Bhashyam Purvarddha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinbhadra Gani Kshamashraman
PublisherRushabhdev Keshrimal Shwetambar Samstha
Publication Year1937
Total Pages504
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_aavashyak
File Size40 MB
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