________________ विशेषाव कोव्याचार्य वृत्ती // 18 // SUSUCCESARK थोवा न सोहणाऽविय जं सा तो नाहिकीरए इहई / करिसावणेण धणवं न रूववं मुत्तिमेत्तेणं // 509 // संश्यसज्ञिजह बहुदब्वो धणवं पसत्थरूवो य रूववं होइ / महईए सोहणाए.य तह सण्णी नाणसण्णाए // 10 // श्रुते इह दीइकालिगी कालिगित्तिसण्णा जया सुदीहंपि / संभरह भूयमिस्सं चिंतेइ य कह णु कायव्वं? // 51 // कालियसण्णित्ति तओ जस्स तई सो य जोमणोजोग्गे। खंघेणंते घेत्तुं मन्नइ तल्लद्धिसंपण्णो // 512 // 18 // 188 // रूवे जहोवलद्धी चक्खुमओ दंसिए पयासेणं / तह छब्विहोवओगो मणदव्वपयासिए अत्थे // 513 // अविसुद्धचक्खुणो जह नाइपयासम्मि रूवविण्णाणं। असण्णिणोतहत्थे थोवमणोदव्वलद्धिमओ॥५१४॥ जह मुच्छियाइयाणं अव्वत्तं सव्वविसयविण्णाणं / एगिदियाण एवं सुद्धयरं बेंदियाईणं // 15 // तुल्ले छेयगभावे जं सामत्थं तु चक्करयणस्स / तं तु जहक्कमहीणं न होइ सरपत्तमाईणं // 516 // इय मणोविसईणं जा पडुया होइ उग्गहाईसु / तुल्ले चेयणभावे अस्सण्णीणं न सा होइ // 517 // जे पुण संचिंतेउं इट्ठाणिटेसु विसयवत्थूसुं। वदति नियति य सदेहपरिपालणाहेउं // 51 // पाएण संपए च्चिय कालम्मिन याइदीहकालण्णा / ते हेउवायसण्णी निच्चेट्ठा होंति अस्सण्णी // 519 // सम्मट्ठिी सण्णी संते नाणे खओवसमियम्मि / अस्सण्णी मिच्छत्तम्मि दिहिवाओवएसेण // 520 // वयनाणी किंसपणीन होइ होइवखओवसमनाणी।सण्णा सरणमणागयचिंताय नसाजिणे जम्हा 521 // मिच्छोहियाहियविभागनाणसण्णासमण्णिओकोई।दीसहसो किमसण्णी सण्णा जमसोहणा तस्स॥५२२॥ SACROSSANA