________________ विशेषाव कोट्याचार्य आभिनिबोधिकामाणादि वृत्ती // 166 // // 166 // खेत्तपलिओवमासंखभाग उक्कोसओ पवज्जेजा। पुव्वपवना दोसुवि पलियासंखेजईभागो॥४२९॥ खेत्तं हवेज चोदसभागा सत्तोवरिं अहे पंच / इलिआगईऍ विग्गहगयस्स गमणेऽहवाऽऽगमणे // 430 // आगमणंपि निसिद्धं चरिमाओ एइ जं तिरिक्खेसु / सुरनारगा य सम्मद्दिट्ठी जं यति मणुएसु॥४३१॥ अवगाहणाइरित्तंपि फुसइ बाहिं जहाऽणुणोऽभिहियं / एगपएसं खेत्तं सत्तपएसा य से फुसणा // 432 // अहवा जत्थोगाढोतं खेत्तं विग्नहे मया फुसणा। खेत्तं च देहमेत्तं संचरओ होइ से फुसणा // 43 // होति असंखेजगुणा नाणाजीवाण खेत्तफुसणाओ। एगस्स अणेगाण व उवओगंतोमुहुत्ताओ॥४३४॥ लद्धीवि जहन्नेणं एगस्सेवं परा इमा होइ / अह सागरोवमाइं छावहिं सातिरेगाइं // 435 // दो वारे विजयाईसु गयस्स तिन्नकचुए अहव ताई। अइरेगं नरभवियं नाणाजीवाण सव्वद्धं // 436 // एगस्स जहन्नेणं अन्तरमन्तोमुहत्तमुक्कोसं / पोग्गलपरिअदृद्धं देसूणं दोसबहुलस्स // 437 // जमसुन्नं तेहिं तओ नाणाजीवाणमन्तरं नत्थि / मइनाणी सेसाणं जीवाणमणंतभागम्मि // 438 // भावे खओवसमिए मइनाणं नत्थि सेसभावेसु। थोवा मइनाणविऊ सेसा जीवा अणंतगुणा // 439 // नेहऽत्थओ विसेसो भागऽप्पबहण तेण तस्सेव। पडिवजमाणपडिवन्नगाणमप्पाबहुं जुत्तं // 440 // थोवा पवजमाणा असंखगुणिया पवन्नय जहण्णा / उक्कोसए पवन्ना होंति विसेसाहिया तत्तो॥४४॥ अहवा मइनाणीणं सेसयनाणीहिं नाणरहिएहिं। कज्ज सहोभएहि य अहवा गचाइभेएणं // 442 // SSC