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________________ विशेषाव० कोट्याचार्य व्यञ्जनापूरणसूत्रव्या ख्या // 10 // MROSALA | // 10 // मल्लगदितेण य, से जहा नाम ए केयि इत्यादि 2 जाव जाहे तं वंजणं पूरियं होती'त्येतच्छुशोधयिषुराह तोएण मल्लगंपिव वंजणमापूरियंति ज भणियं / तं दव्वमिंदियं वा तस्संजोगो व न विरुद्धं // 25 // दव्वं माणं पूरियमिदियमापूरियं तहा दोण्हं / अवरोप्परसंसग्गो जया तया गिण्हइ तमत्थं // 251 // सामन्नमणिद्देसं सरूवनामाइकप्पणारहियं / जइ एवं जं तेणं गहिए सद्देत्ति तं किह णु ? // 252 // सद्देत्ति भणइ वत्ता तम्मत्तं वा न सहबुद्धीए / जइ होइ सहबुद्धी तावाओ चेव सो होजा // 25 // जइ सहबुद्धिमत्तयमवग्गहो तब्बिसेसणमवाओ / नणु सहो नासदो न य रूवाई विसेसोऽयं // 254 // थोवमियं नावाओ संखाइविसेसणमवाओत्ति / तम्भेयावेक्खाए नणु थोवमियंपि नावाओ // 25 // इय सुबहणावि कालेण सव्वभेयावहारणमसझं। तंम्मि हवेज अवाओ सब्बोचिय उग्गहोनाम // 26 // किं सद्दो किमसहोत्तणीहिए सह एव किह जुत्तं ? / अह पुवमीहिऊणं सहोत्तिमयं तई पुव्वं // 27 // किं तं पुव्वं गहियं जमीहओ सह एव विन्नाणं / अह पुवं सामण्णं जमीहमाणस्स सहोत्ति // 258 // अत्थोग्गहओ पुव्वं होयव्वं तस्स गहणकालेणं / पुव्वं च तस्स वंजणकालो सो अत्थपरिसुण्णो // 25 // जइ सहोत्ति न गहियं न उ जाणइ जंक एस सहोत्ति / तमजुत्तं सामण्णे गहिए मग्गिजइ विसेसो॥२६॥ सव्वत्थ देसयंतो सद्दो सहोत्ति भासओ भणइ / इहरा न समयमेत्ते सद्दोत्ति विसेसणं जुत्तं // 26 // अहव सुए चिय भणियं जह कोइ सुणेज सहमवत्तं / अव्वत्तमणिसं सामण्णं कप्पणारहियं // 26 //
SR No.600320
Book TitleVisheshavashyak Bhashyam Purvarddha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinbhadra Gani Kshamashraman
PublisherRushabhdev Keshrimal Shwetambar Samstha
Publication Year1937
Total Pages504
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_aavashyak
File Size40 MB
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