SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 301
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 444 प्रत्याख्यान चूर्णिः ॥२९९॥ SAREERERNET | संविभागो, तत्थ सामातिय नाम सावज्जजोगपरिवज्जणं णिरवज्जजोगपरिसेवणं च, तं सावएण कहं कायव्वं १, सो दविहो- शिक्षाव्रतेषु इडिंपत्तो अणपित्तो य, जो सो अणिाडपत्तो सो चेइयघरे वा साधुसमीवे वा घरे वा पोसहसालाए वा जत्थ वा बीसमति सामायिक | अच्छति वा णिव्वावारो सव्वत्थ करेति सव्वं, चउसु ठाणेसु णियमा कायव्वं, तंजहा-चेतियघरे साहुमूले पोसहसालाए वा घरे दवा आवासं करेंतोत्ति, तत्थ जदि साहुसगासे करेति तत्थ का विही?, जदि पारंपरभयं णस्थि जइवि य केणइ समं विवादो माणत्थि जदि कस्सति ण धरेति मा तेण अंछवियंछियं कविज्जति, जदि धारणगं दळूण ण गिण्हति मा पडिभज्जिहि, जति य वावारं ण बावारेति ताहे घरे चेव सामातियं काऊण उवाहणातो मोत्तूणं सचित्तदव्वविरहितो वच्चति, पंचसमिओ तिगुत्तो इरियाए उवउत्तो जहा साहू भासाए सावजं परिहरंतो एसणाए कटुं लेटुं वा पडिलहित्तु पमज्जित्तु एवं आदाणणिक्खेवणे खेलर्सिघाणे ण विगिंचति, विगिचिन्तो वा पडिलेहिय पमज्जिय थंडिले, जत्थ चिट्ठति तत्थ गुत्तिाणरोधं करति,एताए विहएि गंता तिथि: हेण णमिऊण साधुणो पच्छा साधुसक्खियं सामातिय करेति- करेमि भंते ! सामाइयं० दुविहं तिविहेणं जाव साहू पज्जुवासामित्ति | काऊणे, जइ चेतियाई अस्थि तो पढमं वंदति, साहूणं सगासातो रयहरणं निसज्जं वा मग्गति, अह घरे तो से ओग्गहितं रयहरणं अत्थि, तस्स असति पोत्तस्स अंतणं, पच्छा इरियावाहियाए पडिक्कमइ, पच्छा आलोइत्ता वंदइ आयरियादी जहारायणियाए, पुणोवि गुरुं वंदित्ता पडिलेहेत्ता णिविट्ठो पुच्छइ पढइ वा, एवं चेइएसुवि, असइ साहूचेइयाणं पोसहसालाए सगिहे वा, एवं * ॥२९९॥ सामाइयं वा आवस्सयं वा करेइ, तत्थ नवरि गमणं नत्थि, भणइ-जाव णियम समाणेमि । जो इड्डिपत्तो सो किर एंतो सव्विडीए एइ तो जणस्स अत्था होति, आढिता य साहुणो सप्पुरिसपरिग्गहेणं, जति सो कयसामातितो एति ताए आसहत्थिमादि 16
SR No.600291
Book TitleAavashyak Sutram Uttar Bhag
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami, Jindasgani Mahattar
Author
PublisherRushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha
Publication Year1929
Total Pages328
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_aavashyak
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy