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________________ प्रतिक्रमणा ध्मयने ॥१३२॥ यस्स एसणास मियस्स आयाणगंडमत्तणिक्खेवणासमितस्स उच्चारपासवणखेल सिंघाणजल्लपारिट्ठावाणिया समियस्स मणसमियस्स इस मियस्स कायसमियस्स मणगुत्तस्स वइगुत्तस्स कायगुत्तस्स गुत्तस्स गुतिदियस्स गुत्तबंभचारिस्स आउत्तं गच्छमाणस्स वा चिट्ठमाणस्स वा निसीयमाणस्स वा तुयट्टमाणस्स वा आउत्तं भुंजमाणस्स वा आउत्तं वत्थं पडिग्गहं कंबलं पादपुंछणं गेहमाणस्स वा निक्खिवमाणस्स वा जाव चक्खुपम्हनिवायमवि अस्थि वेमाता सुहुमा किरिया ईरियावहिया कज्जति, सा पढमसमये बद्धपुट्ठा बितियसमये वेदिता ततियसमये निज्जिण्णा, सा बद्धपुट्ठा उदिता वेदिता निज्जिण्णा, सेअकाले अकंमि वावि भवति । एवं खलु तस्स तप्पत्तियं असावज्जेत्ति आहिज्जति, तेरसमे किरियट्ठाणे इरियावहिय वत्तिएत्ति आहिते १३ || से बेमि जे अतीता जे पडुप्पण्णा जे आगमेस्सा अरिहंता भगवंतो सच्चे ते एताई तेरस किरियाठाणाई भासिंसु वा भासंति वा भासिस्संति वा, एवं पण्णविंसु ३, एवं चैव तेरसमं किरियाठाणं सेविंसु ३, एत्थ पडिसिद्धकरणादिना जो मे जाब दुक्कति ॥ चोदसहिं भूतगामेहिं ॥ सूत्रं ॥ जम्हा भुवि भविस्संति भवंति य तम्हा भूतत्ति वत्तव्वा, भूता जीवा, गामोति समूहो, भूताणं गामा भूतग्गामा तत्थ तर्हि गाथा - ए गिंदिय सुहुमितरा०||७|| एगिंदिया सुहुमा इतरा-बादरा, सुहुमा पज्जत्ता अपज्जत्ता य, एवं बादरावि दुविहा, बेंदिया वि दुविहा- पज्जत्ता अपज्जत्ता य, तेंदिया वि दुविहा, चउरिंदिया दुविहा, पंचिदिया दुविधा-सण्णिणो असण्णिणो य, तत्थ असष्णिपंचिदियावि दुविधा - पज्जत्ता अपज्जत्ता, सष्णिपंचिदियावि दुविधा- पज्जत्ता अपज्जत्ता य, एते चोइस भूतग्गामा, एत्थ पडिसिद्ध करणादिणा जो मे जाव दुक्कडंति । भूतग्रामाः ॥१३२॥
SR No.600291
Book TitleAavashyak Sutram Uttar Bhag
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami, Jindasgani Mahattar
Author
PublisherRushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha
Publication Year1929
Total Pages328
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_aavashyak
File Size7 MB
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