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________________ ध्ययने प्रतिक्रमणा निज्जरा अस्थि अरहता एवं चक्कवडी बलदेवा वासुदेवा चारणा विज्जाहरा णरगा गैरइया तिरिक्खजोणी तिरिक्खजोणिया उपासक| माता पिता रिसयो अरिसयो देवा जाव अस्थि देवलोगा अत्थि सिद्धी अस्थि असिद्धी अत्थि परिनिव्वाणे अस्थि परिनिव्वुता प्रतिमाः अस्थि पाणातिवाते जाव अस्थि मिच्छादसणसने अस्थि पाणातिपातवेरमणे जाव अस्थि राइभायणवरेमणे अस्थि काहविवेगे जाव ॥१२॥ | अस्थि लोभविवेगे अस्थि पेज्जविवेगे जाव अस्थि मिच्छादसणसन्नविवेगेत्ति, जिणपन्नत्ता भावा अवितहं सद्दहति, तस्स णं एगं वा | अणेगाई वा अणुब्बताई णो कताई भवंतीति पढमा उवासगपडिमा १॥ अथावरा दोच्चा उ० दंसणसावए यावि भवति, तस्स णं एवं भवति-अस्थि लोगे जाव जिणपण्णत्ता भावा अवितहं सद्दहति, तस्स णं एग वा अणेगाई च अणुव्वताई भवंतीति दोच्चा उ०२ अहावरा तच्चा उदंसणसावए यावि भवति, तस्सणं जाव सद्दहति, तम्स णं एग अगाई वा अणुव्वताई कताई भवति | सामाइयं संमं अणुपालेति जाव तिनि मासा एतगुणा धारेतित्ति तच्चा उ०३ ॥ अहावरा चउत्था उ०दसणसा० जथा तच्चा जाव लसामाइयं सम अणुपालति, चाउद्दसिअट्टमुट्ठिपूणिमासणीसु पडिपुण्णं पोसह सम्म अणुपालेति जाव चत्वारि मासा एते गुणा धारेतित्ति चउत्था उ०४॥ अथावरा पंचमा उ० देसणसावए जथा चउत्था जाव पोसहं संमं अणु० रातिभत्ते से परिण्णाते | भवति सचित्ताहारे से णो परिणाते भवति जाव पंच मासा एते गुणा धारेतित्ति पंचमा उ०५॥ अहावरा छट्ठा उ० दंसण है जथा पंचमाए तहेव जाव रातिभत्ते से परिण्णाते भवति सचित्ताहोरेवि से परिणाए भवति जाव छम्मासा एते गुणा धारोतीति छट्ठा उ०६॥ अहावरा सत्तमा उ०दसण जथा छट्ठाए तहेव रातीभत्तपरिणाते सचित्ताहोर परिणाए दिया बंभचारी रातो परिलामाणकडे जाव सत्त मासा एते गुणा धारेतित्ति सत्तमा उ०१॥ अथावरा अट्ठमा उ० दसणसावए यावि भवति जाव पडिपुण्णं । ॐॐॐॐॐ | ॥१२॥
SR No.600291
Book TitleAavashyak Sutram Uttar Bhag
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami, Jindasgani Mahattar
Author
PublisherRushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha
Publication Year1929
Total Pages328
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_aavashyak
File Size7 MB
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