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________________ प्रतिक्रमणा । | गाथा-दंसणवतसामाइय०॥४॥ तत्थ किरियावादी यावि भवति, तंजथाआहियवादी आहितपण्णे आहितदिट्ठी संमा उपासक ध्ययने वादी अणियतवादी, संति परलोगवादी जाव अत्थि संसाराओ सिद्धी, से एवंवादी एवंपण्णे एवंदिट्ठी छंदरागमतिनिविट्टे प्रतिमा ॥११॥ यावि भवति, से भवति महिच्छे जाव सुक्कपक्खिए, आगमेस्सीण सुलभवोहिए यावि भवति, सव्वधम्मरयी यावि भवति, तस्स णं . बहूई सीलब्वयगुणवेरमणपच्चक्खाणपोसथोववासाई नो सम्म पट्टवियाई भवंति. पढमा उवासगपडिमा १॥ अहावरा दोच्चा उवासगपडिमा सवधम्मरुई यावि भवति, तस्स णं बहूई सीलव्ययगुणवेरमणपोसहोववासाई नो सम्मं पट्टवियाई भवंति, से पूं सामाइयदेसावगासियं नो संम अणुपालेता भवति, दोच्चा उवासगपडिमा २॥ अहावरा तच्चा उवासगपडिमा सवधम्मरुहे यावि भवति, तस्स ण चहूई सीलब्धतगुणवेरमणपोसहोववासाई नो सम पट्टविताई भवंति, सेणं सामाइयं देसावगासियं संमं अणुपालेत्ता भवति.से णं चाउद्दसअट्ठमिपुण्णिमासिणीसु पडिपुण्ण पोसह नो समं अणुपालेत्ता भवति,तच्चा उवासगपडिमा ३॥ अहावरा चउत्था उवासगपडिमा सव्वधम्म०,तस्स ण बहूई सीलव्धतजाव संम पट्ठविताई भवंति, से णं सामाइयं देसावगासिय संमें अणुपालेता भवति, से णं चाउद्दसि जाव संमं अणुपालेत्ता भवति, से णं एगरातियं उवासगपडिमं णो संमं अणुपालेत्ता भवति, चउत्था उवासगपडिमा ४ ॥ अहावरा पंचमा उवासगपडिमा सव्वधम्म, तस्स णं बहूई सील जाव संपडिताई भवंति, से गं ॥११८ 13ा सामाइयं तहेव, से ण चाउहसि तहेव, से णं एगराइयं उवासगपडिम अणपालेता भवति, सेणं असिणाणए बियडभोई मउलियडे दिया बंभचारी रति परिमाणकडे, से णं एयारूपेण विहारेण विहरमाणे जहणणेणं एगाहं वा दुयाहं वा तियाहं वा उकोसेण पंचर मासे विहरेज्जा, पंचमा उवासगपडिमा ५॥ अहावरा छद्रा उवासगपडिमा सव्वधम्म० जाव से णं एगराइयं उवा० संमं अणु SEASESARSWERCHAR %A5345543
SR No.600291
Book TitleAavashyak Sutram Uttar Bhag
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami, Jindasgani Mahattar
Author
PublisherRushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha
Publication Year1929
Total Pages328
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_aavashyak
File Size7 MB
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