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________________ औत्पाति बुद्धिः नमस्कार है सत्ताए दोहलो देवलोगचुयस्स अभयं सुणेज्जामि, वाणितो दव्वं गहाय उववितो रण्णो, रण्णा गहियं, उग्धोसावियं, पुत्तो जातो, व्याख्यायां अभयोत्ति णाम कतं, पुच्छति-मम पिता कहिंति , ताए कहितं, भणति- वच्चामोत्ति, सत्थेण समं वच्चति, रायगिहस्स बहिया ॥५४७॥ ठिता, णगरगवेसतो गतो, राया मंती मग्गति, सुक्ककूचे खुड्ग पाडियं, जो गेण्हति हत्थेणं तडे ठितो तस्स राया वित्तिं देति, | अभएण दिटुं, आहतं छाणेणं, सुक्के पाणियं मुक्कं, तडे संतएण गहियं, रण्णो समीवं णीतो, पुच्छति- तुमं को ?, भणति-तुम्ह| पुत्तोत्ति, किह वा किं वा ?, सव्वं पडिकहिय, तुट्ठो उच्छंगे कतो, माता पवेसिज्जती मंडीत, तेण वारिया, अमच्चो जातो। पडे, दो जणा व्हायंति, एगस्स दढो पडो, एगस्स जुण्णो, जुण्णइतो दढं गहाय पट्टिओ, इतरो मग्गति, सो ण देति, ववहारो, महिलाओवि कंताविताओ, दिण्णो जस्स जो,अण्णे भणंति-सीसाणि ऑलिहिताणि, एगस्स उण्णपडओ बीयस्स सोत्तिओ। सरडो, सणं वोसिरंतस्स सरडा भंडती, एगो तस्स अधिट्ठाणस्स हेट्ठा बिलं पविट्ठो, पुच्छिण छिक्को, घरं गतो, अद्धितीए 3 दुब्बलो जातो, वेज्जो पुच्छितो भणति- जदि सतं देह, दिण्णं, तेण घडए सरडो छुढो लक्खाए विलेपित्ता, विरेयणं दिण्णं, बोसिदरियं, सरडो कप्परे दिट्ठो, लट्ठीहूतो ॥ बितिओ सरडो, भिक्खुणा खुडओ पुच्छितो (भणति) एस सरडो किं सीसं चालेही, तेण भणित- तुम जोएति- किं भिक्खु भिक्खुणित्ति । कागे, तच्चण्णिएण खुड्डओ पुग्छितो- अरहताः सर्वज्ञाः १, बाढं, तो कित्तिया इह कागा?,सट्ठि कागसहस्साई इहयं विण्णातडे परिवसति । जदि ऊणगा पवसिता अब्भधिता तत्थ पाहुणगा ॥१॥ बितिओ णिहिम्मि दिढे महिलं परिक्खति- रहस्सं MOCHA | ॥५४॥ ASHXATEX
SR No.600290
Book TitleAavashyak Sutram Purv Bhag
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami, Jindasgani Mahattar
Author
PublisherRushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha
Publication Year1928
Total Pages620
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_aavashyak
File Size13 MB
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