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________________ आवश्यकतालोगेणवि परत AAE %A5 चन्दनबाला वृत्त नियुक्ती 51 बहवे अभिग्गहा, ण णज्जति अभिप्पाओ दन्वजुत्ते य खे० सत्त पिंडेसणाओ सत्त पाणेसणाओ, ताहे रमा सम्वत्थ संदिट्ठा, चूौँ लोगेणवि परलोककंखिणा कता, सामी आगतो,ण य तेहिं पगारेहिं गिण्हति, एवं च ताव एवं । इओय सयाणिओ चपं पधाविओ उपोदयात दहिवाहणं गेहामित्ति, णावाकडएण गतो एगाए रत्तीए, अचिंतिया चेव णगरी वेढिया, तत्थ दहिवाहणो पलातो, रना जग्ग | हो घोसितो, एवं जग्गहे दिने दहिवाहणस्स रनो धारणी देवी, तीसे धूया वसुमती, सा सह धूयाए एगेण ओट्ठिएण गहिता, राया नियत्तो, सो उट्टितो चिंतेति, भणइ य-एस मे भज्जा, इमं च दारियं विक्केसं, सा देवी तेण मणोमाणसिएण दुक्खिए॥३१८॥ |ण अप्पणो धूयाए य एस ण णज्जति किं ममं पाहिति, एयं वा चाँड, एवं सा अंतरा कालगता, पच्छा तस्स उट्टियस्स चिंता | जाता दुर्ल्ड मए भणितं महिला होहितित्ति, एतं न भणामि, मा एसावि मरिहिति, तो मे मोल्लंपि ण होहिति, ताहे अणुयत्ततेण आणीता, वीहीए ओट्टिया, धणवाहेण दिट्ठा अणलंकितलावना, अवस्सं रन्नो ईसरस्स वा एसा, मा आवई पावउत्ति जत्तियं सो भणति तत्तिएण मोल्लेण गहिता, तेण समं ममं सुहं तत्थ णगरे आगमणं गमणं च होहितित्ति, तेण नियगं घरं | गीता, पुच्छिता-का सि तुमंति, ण-साहति, पच्छा तेण धृतत्ति गहिता, एवं सा हाणिता, मृलिगावि भणिता-जहा एस तुज्झ धूयत्ति, एवं सा तत्थ जहा नियए घरे तह सुहंसुहेण अच्छति, ताएवि सो सपरिजणो लोगो सीलेण य विणएण य सव्वो अप्पणिज्जओ कओ, ताहे ताणि भणंति सव्वाणि-अहो इमा सीलचंदणत्ति, ताहे से वितियंपिय णाम कयं चंदणत्ति, एव य कालो | वच्चति । ताए य घरिणीए अवमाणो जायति मच्छरिज्जति य, को जाणति कयाइ एस एतं पडिवज्जेज्जा, ताहे अहं घरस्स अस्सामिणी भविस्सामि, तीसे य वाला अतीव रमणिज्जाऽतिकिण्हा य, अन्नया कयाई सो सेट्ठी मज्झण्हे जणविरहिते आग SALE RESEARCASTECRECROR %A E ॥३१८॥ % 84-%
SR No.600290
Book TitleAavashyak Sutram Purv Bhag
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami, Jindasgani Mahattar
Author
PublisherRushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha
Publication Year1928
Total Pages620
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_aavashyak
File Size13 MB
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