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________________ श्री आवश्यक चूर्णी उपोद्घात नियुक्ती ॥३०॥ CANA वाणियगामायावण आणंदो ओहि परिसहसहत्ति सावत्थीए वासं चित्ततवो साणुलढि यहिं ॥४-३८१४९५ ॥ 181 भद्राद्याः प्रतिमा ताहे वाणियग्गामं गतो, तस्स बाहिं पडिमं ठितो, तत्थ आणंदो नाम समणोवासगो छटुंछद्रेण आतावेति, तस्स य ओहि-18 नाणं उप्पन्न, जाव तित्थगरं पेच्छति, तं वंदति णमंसति, भणति य-अहो सामी परीसहा अधियासिज्जंति, वागरेति य जहा एच्चिरेण कालेणं तुम्भं केवलनाणं उप्पज्जिहिति पूजेति य । पच्छा सामी सावत्थि गतो, तत्थ दसमं वासारत्तं विचित्तं तवोकर्म ठाणादीहिं । पडिमा भद्दमहाभद्द सव्वतोभद्द पढमिया चउरो। अट्ट य वीसाऽऽणंदे यहुलियतह उज्झिति य दिव्वा॥४-३९।४९६।। ततो साणुलहितं णाम गामं गतो, तत्थ भई पडिम ठाति, केरिसिया भद्दा ?, पुव्वाहुत्तो दिवस अच्छति, पच्छा रत्ति दाहिणहुत्तो अवरेण दिवसं उत्तरेण रति, एवं छद्रेण भत्तण णिहिता। तहवि ण चेव पारेति, अपारितो चेव महाभई ठाति, सा8 पुण पुव्वाए दिसाए अहोरत्तं, एवं चउसुवि चत्तारि अहोरत्ता, एवं दसमेण णिहिता । ताहे अपारितो चेव सव्वतोभदं पडिम ठाति, सा पूण सव्वतोभद्दा इंदाए अहोरत्तं, पच्छा अग्गेयाए, एवं दसमुवि दिसासु सव्वासु, विमलाए जाई उड्डलोतियाणि दव्वाणि | ताणि शाति, तमाए हिडिल्लाई, चउरो दो दिवसा दो रातिओ, अह चत्तारि दिवसा चत्वारि रातीतो, वीसंदस दिवसा दस राईओ, एवं एसा दसहिं दिवसेहिं बावीसइमेण णिहाति । पच्छा तासु सम्मत्तासु आणंदस्स गाहावतिस्स घरे बहुलियाए दासीए महा IP॥३०॥ | णसिपीए भायणाणि खणीकरतीए दोसीणं छड्डेउकामाए सामी पविट्ठो, ताए भन्नति-कि भगवं ! एतेण अट्ठो, सामिणा पाणी शाम गामं गतो, तत्थ भई पडिम लगाता। तहवि ण चव पारतरतोचव सव्वतोभई पडिम दाहिणहुत्तो अवरेण दिवस एवं चउमुवि चत्तारि अारए दसमुवि दिसासू मा ॐCARRANSLACE
SR No.600290
Book TitleAavashyak Sutram Purv Bhag
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami, Jindasgani Mahattar
Author
PublisherRushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha
Publication Year1928
Total Pages620
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_aavashyak
File Size13 MB
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